Pakistan News Today: 'बलोच राष्ट्रीय आंदोलन' के मानवाधिकार विभाग (PAANK) ने महरंग बलोच और क्वेटा में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के जरिये शातिंपूर्ण प्रदर्शन पर की गई हिंसक कार्रवाई की कड़ी निंदा की है. महरंग बलोच का शुमार 'बलोच अधिकार' के बड़े नेताओं में होता है. इसको लेकर 'पांक' ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर एक संदेश पोस्ट किया है.
पांक ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के जरिये क्वेटा में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर की गई हिंसक तरीके से तड़के सुबह छापेमारी की कड़ी निंदा की है. पांक ने सोशल मीडिया पर कहा, "हम राज्य सुरक्षा बलों के जरिये क्वेटा में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर की गई हिंसक कार्रवाई की कठोर निंदा करते हैं. यह कार्रवाई बहुत ही निर्मम है. इसमें महरंग बलोच समेत कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी भी शामिल है. यह बलोच लोगों के खिलाफ राज्य के जरिये किए गए दमन का एक और उदाहरण है."
पांक ने कहा, "सुबह के लगभग 5:30 बजे सुरक्षा बलों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमला किया, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. प्रदर्शनकारियों ने जिन मृतकों के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, उन्हें अधिकारियों ने जबरदस्ती छीन लिया. इसने पीड़ित परिवार की परेशानियों और दुखों को बढ़ा दिया. डॉ. महरंग बलोच समेत अन्य कई लोगों को हिंसक तरीके से बेरहमी से घसीटते हुए गिरफ्तार कर लिया गया."
पांक ने राज्य प्रायोजित हिंसा करार देते हुए गिरफ्तार लोगों के तत्काल रिहाई की मांग की. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, मानवाधिकार संगठनों और वैश्विक समाज से अपील की कि वे मानवाधिकार उल्लंघन पर संज्ञान लें और जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करें. उन्होंने कहा कि बलोच लोगों का जारी दमन और हिंसा को देखते हुए दुनिया को चुप नहीं रहना चाहिए.
प्रदर्शन के दौरान पुलिस और राज्य बलों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे, पानी की बौछारें और गोला-बारूद का इस्तेमाल किया. जिसकी वजह से तीन बलोच युवकों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए.
इससे पहले हाल ही में बलोच नेशनल मूवमेंट (BNM) के विदेश विभाग के समन्वयक और केंद्रीय समिति के सदस्य नियाज बलोच ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 58वें सत्र के दौरान बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की चिंताजनक स्थिति पर सबका ध्यान आकर्षित किया. अपने भाषण में नियाज ने पाकिस्तान के जरिये सियासी विरोधियों का सुनियोजित ढंग से दमन करने की निंदा की और बुनियादी स्वतंत्रता का जिक्र किया.
बलूचिस्तान में जारी संघर्ष के बीच पाकिस्तान में राजनीतिक स्वायत्तता बढ़ाने, प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक नियंत्रण और बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की मांग जोर पकड़ रही है. बलोच राष्ट्रवादी समूह स्वतंत्रता या विस्तारित अधिकारों की पैरवी कर रहे हैं, जबकि पाकिस्तानी सरकार ने इस पर सैनिक कार्रवाई के माध्यम से प्रतिक्रिया दी है.