Sudan News Today: सूडान के कुख्यात पैरामिलिट्री ग्रुप ने पश्चिमी दारफुर के एक शहर में हमला किया, जिसमें 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई. यह हमला उस क्षेत्र में हुआ हैं, जहां लाखों की संख्या में विस्थापित लोग रहते हैं. बताया जा रहा है कि यह हालिया दिनों किया गया सबसे घातक हमला है.
यह ताजा घातक आक्रामक कार्रवाई है
शहर की रेसिस्टेंस कमेटी ने बताया कि रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (RSF) और उसकी सहयोगी मिलिशिया ग्रुप ने रविवार (20 अप्रैल) को उत्तरी दारफुर प्रांत की राजधानी अल-फाशर पर हमला किया, इन हमलों में दर्जनों लोग घायल हो गए हैं. आरएसएफ की ओर से इस मामले में अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
अल-फाशर, राजधानी खार्तूम से 800 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. इस जगह पर सूडानी सेना का नियंत्रण है. जब से सूडान में गृह युद्ध छिड़ा है, तबसे सेना लगातार आरएसएफ के साथ लड़ रही है. यूनाइटेड नेशन के मुताबिक, इस युद्ध में अब तक 24 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह संख्या कहीं अधिक हो सकती है.
आरएसएफ पिछले एक साल से अल-फाशर पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है ताकि पूरे दारफुर क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर सके. इस दौरानउसने शहर और इसके बाहरी इलाकों में दो बड़े विस्थापित शिविरों पर कई भीषण हमले किए है. इन विस्थापित शिविरों में रहने वाले लोग पहले से ही भुखमरी से जूझ रहे हैं.
अनुमान है कि अल-फाशर में अब 10 लाख से अधिक लोग रहते हैं, जिनमें से कई मौजूदा युद्ध और कुछ लोग दारफुर में पहले हुई हिंसा की घटनाओं की वजह से विस्थापित हुए हैं. आरएसएफ का कनेक्शन कुख्यात जंजावीद मिलिशिया से जुड़ा हुआ माना जाता है, जिसे दो दशक पहले तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर ने मध्य या पूर्वी अफ्रीकी समुदायों के खिलाफ संगठित किया था. जंजावीद मिलिशिय ग्रुप पर बड़े पैमाने पर हत्या करने, ब्लात्कार और अन्य क्रूर अत्याचारों में शामिल रहने का आरोप है.
RSF युद्ध में हो रहा भारी नुकसान
हालिया महीनों में अल-फाशर ने हमले तेज कर दिये हैं. इसकी वजह यह है कि आरएसएफ को खार्तूम और देश के पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में युद्ध के मैदान में नाकामियों का सामना करना पड़ा है. रविवार का हमला पिछले एक हफ्ते के दौरान हुई दूसरी घटना है. इससे पहले आरएसएफ और उसकी सहयोगी मिलिशिया ग्रुप ने शहर के साथ जमजम और अबू शौक कैंप पर हमला किया था. यूनाइटेड नेशन के मुताबिक, इन हमलों में 400 से अधिक लोग मारे गए थे.
आरएसएफ और उसके सहयोगी मिलिशिया ग्रुप ने पिछले जमजम कैंप पर भीषण हमला किया था. यह सूडान का सबसे विस्थापितों का कैंप माना जाता है. इस हमले की वजह से 4 लाख लोगों को मौके से भागना पड़ा. यूए के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने बताया कि यह कैंप सहायता पहुंचाने वाले कर्मियों की पहुंच से बाहर हो गया है.