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रूस-यूक्रेन जंग पर ब्रेक लगाने आगे आया मुस्लिम मुल्क! देखते रह गए US-UK

Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन जंग के बीच तुर्की ने शांति का रास्ता खोल दिया है. राष्ट्रपति पुतिन और जेलेंस्की इस्तांबुल में सीधी बातचीत को तैयार हो गए हैं. तुर्की ने मध्यस्थ बनकर दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाने की पहल की है. 

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रूस-यूक्रेन जंग पर ब्रेक लगाने आगे आया मुस्लिम मुल्क! देखते रह गए US-UK
Tauseef Alam|Updated: May 13, 2025, 07:56 AM IST
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Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन के बीच पिछले 3 साल से जंग जारी है. इस युद्ध में लाखों लोगों की मौत हो गई है, इनमें सबसे ज्यादा दोनों देशों के सैनिक शहीद हुए हैं. दुनिया भर के नेताओं ने रूस और यूक्रेन से इस युद्ध को रोकने की अपील की है, लेकिन दुनिया भर की सारी कोशिशें नाकाम रहीं. अब एक मुस्लिम मुल्क ने वो कर दिखाया है जो अमेरिका और ब्रिटेन जैसी ताकतें भी नहीं कर पाईं. अब ऐसा लग रहा है यह युद्ध जल्द ही समाप्त होने वाला है.

दरअसल, तुर्की ने रूस-यूक्रेन के बीच शांति का पुल बनने की जिम्मेदारी उठाई है और इसका असर भी दिखने लगा है. जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सीधे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की को सीधी बातचीत का ऑफर दिया, तो यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस के ऑफर को एक्सेप्ट कर लिया और जंग खत्म करने के लिए तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में होने वाली बैठक में शामिल होने और पुतिन से सीधी बातचीत के लिए जेलेंस्की तैयार हो गए. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इस बड़े कदम का स्वागत करते हुए साफ कर दिया है कि उनका देश दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को सफल बनाने के लिए हरसंभव कोशिश करेगा. साथ ही तुर्की के राष्ट्रपति ने ज़ेलेंस्की से फोन पर बातचीत की.

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने क्या कहा?
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत शुरू करने से पहले पूरे इलाके में लड़ाई रोकना बहुत ज़रूरी है. उन्होंने दोनों देशों से कहा है कि अभी जो बातचीत का मौका बना है, उसे हाथ से जाने न दें और शांति की कोशिश में आगे आएं. एर्दोगन ने यह भी कहा कि अगर दोनों देश चाहें तो तुर्की इस बातचीत के लिए अपने देश में बैठक करवाने को तैयार है. उन्होंने बताया कि तुर्की दोनों देशों के नेताओं और उनके प्रतिनिधियों को अपने यहां बुलाकर बातचीत करवाना चाहता है ताकि जंग खत्म हो सके.

कैबिनेट मीटिंग के बाद क्या बोले तुर्की के राष्ट्रपति?
ज़ेलेंस्की के साथ यह कॉल एर्दोगन द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के ठीक एक दिन बाद हुई, जिसके दौरान तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश इस्तांबुल में फिर से रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की मेजबानी करने के लिए तैयार है. इस बीच, 12 मई को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने कैबिनेट बैठक की. इस बैठक के बाद एर्दोगन ने कहा कि अब तुर्की दुनिया में शांति लाने की कूटनीति (डिप्लोमेसी) में एक अहम मुल्क बन गया है. उनका देश जंग रोकने लोगों की मदद करने और लड़ाई खत्म करवाने के लिए लगातार काम कर रहा है.

शांति वार्ता की मेजबानी करने के लिए तैयार है तुर्की- विदेश मंत्री
इस बीच, तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने भी राष्ट्रपति की बात को दोहराया. उन्होंने कहा कि तुर्की रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत करवाने और शांति वार्ता की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है. तुर्की दोनों देशों की जंग खत्म कराने के लिए हर तरह की मदद देने को राज़ी है. अंकारा में सोमवार को अपने सीरियाई और जॉर्डन के समकक्षों के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, फिदान ने कहा कि प्रस्तावित बैठक के तौर-तरीकों के बारे में चर्चा अभी भी जारी है. 

विदेश मंत्री हकन फिदान ने कही ये बड़ी बात
विदेश मंत्री हकन फिदान ने कहा कि यूक्रेन चाहता है कि बातचीत शुरू होने से पहले पहले जंग रोकने का ऐलान हो, जबकि रूस चाहता है कि पहले बातचीत हो फिर देखा जाएगा. दोनों देश अभी भी अमेरिका से मदद और समर्थन पाने की कोशिश में लगे हुए हैं. फिदान ने साफ कहा कि तुर्की की बात एकदम साफ है. हम चाहते हैं कि दोनों देश जल्दी से जल्दी एक साथ बैठें और जंग रोकने का रास्ता निकालें. तुर्की दोनों को वार्ता और सीजफायर के लिए बुला रहा है.

रूस-यूक्रेन बातचीत के लिए है राजी
11 मई को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि वो 15 मई को इस्तांबुल में यूक्रेन के साथ सीधी बातचीत फिर से शुरू करना चाहते हैं. पुतिन ने कहा था कि रूस इस लड़ाई के असली कारणों को खत्म करना चाहता है और एक ऐसी शांति चाहता है जो लंबे समय तक चले. इस पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा, "ये अच्छा है कि रूस अब जंग खत्म करने के बारे में सोचने लगा है." हालांकि ज़ेलेंस्की ने कहा कि बातचीत शुरू होने से पहले सोमवार से ही जंग रोक दी जाए, यही पहली और ज़रूरी शर्त है. 2022 में, रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों ने इस्तांबुल में सीधी बातचीत की, लेकिन लड़ाई को रोकने पर आम सहमति तक पहुंचने में विफल रहे.

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