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सऊदी अरब के डॉक्टरों का कमाल; 8 साल के बच्चे का किया रोबोट से लिवर लोब ट्रांसप्लांट

Medical Miracle in Saudi Arabia: रियाद स्थित किंग फैसल हॉस्पिट एंड रिसर्च सेंटर ने मेडिकल के क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया है. यहां डॉक्टरों ने एक बच्चे का सफलतापूर्वक लिवर लोब ट्रांसप्लांट किया. इससे पहले इस हॉस्पिटल में दुनिया का पहला फुल रोबोटिक हार्ट ट्रांसप्लांट और पहला रोबोटिक लिवर ट्रांसप्लांट भी किया जा चुका है.  

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
Raihan Shahid|Updated: May 11, 2025, 11:45 PM IST
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Saudi Arabia News Today: बीते कुछ दशकों में विज्ञान ने तेजी से तरक्की किया है, इसकी वजह से रोजमर्रा की जिंदगी आसान हुई है तो दूसरी तरफ कई जानलेवा बीमारियों का इलाज भी संभव हुआ है. मशीनों की वजह से गंभीर और जानलेवा बीमारियों का ऑपरेशन डॉक्टरों के लिए आसान हुआ है. विज्ञान की तरक्की का चौंकाने वाला उदाहरण सऊदी अरब में देखने को मिला है, जहां एक बच्चे का ट्रांसप्लांट रोबोटिक सर्जरी के जरिये किया गया है. 

यह वैज्ञानिक चमत्कार का मामला सऊदी अरब के सबसे आधुनिक हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर में शुमार किंग फैसल स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (King Faisal Specialist Hospital and Research Centre) में हुआ. रियाद स्थित इस हॉस्पिटल में एक आठ साल के बच्चे का लिवर लोब ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक रोबोटिक सर्जरी तकनीक से किया गया है. इस ऑपरेशन के बाद मरीज को सिर्फ दो हफ्ते में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चे का यह ऑपरेशन कई वजहों से बहुत मुश्किल था, जिसमें जान जाने का भी खतरा था. इसको करने में समस्या ये थी कि बच्चे की जिस्मानी बनावट छोटी और सर्जिकल के लिए जगह कम थी. हालांकि, इससे पहले इस हॉस्पिटल में व्यस्कों का रोबोटिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया जा चुका है. इसी वजह से रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल बच्चे के लिए भी करने में कामयाबी मिली.

सर्जरी के लिए बनाई विशेष योजना

डॉक्टरों ने सर्जरी के लिए एक खास योजना बनाई थी. इसके तहत एक्सपर्ट्स ने रोबोटिक उपकरण को पीड़ित बच्चे के जिस्म में एंट्री पॉइंट्स को दोबारा निर्धारित किया. ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के कार्यकारी निदेशक और मुख्य सर्जन प्रोफेसर डाइटर ब्रोरिंग ने कहा,"रोबोटिक सर्जिकल तकनीक का इस्तेमाल अब तक सिर्फ वयस्कों तक ही सीमित था, लेकिन हमने इसे सफलतापूर्वक बच्चों के अनुकूल ढाला. "

मुख्य सर्जन प्रोफेसर डाइटर ब्रोरिंग ने बताया कि "बच्चे के छोटे शरीर और सीमित स्थान के मुताबिक हमने सर्जरी को ध्यान में रखते हुए इसको दोबारा डिजाइन किया. उन्होंने आगे बताया कि  "बच्चे के जिस्म रोबोटिक टूल्स डालने के लिए सावधानी के एंट्री पाइंट्स में सुधार किया गया, जिससे खतरे को कम से कम किया जा सके और मरीज की जान सुरक्षित रहे."

हॉस्पिटल ने स्थापित किए कई कीर्तिमान

यह सर्जरी बच्चों के इलाज में रोबोटिक तकनीक के विस्तार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. यह तकनीक सर्जरी में अधिक सटीकता,  कम पेचीदगी और अधिक सुरक्षित बनाती है, जिससे भविष्य में बच्चों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम की तरक्की का रास्ता साफ हो. 

इस उपलब्धि ने किंग फैसल सेंटर को रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी देश के रूप में स्थापित किया है. इससे पहले यह हॉस्पिटल दुनिया का पहला फुल रोबोटिक हार्ट ट्रांसप्लांट और पहला रोबोटिक लिवर ट्रांसप्लांट भी कर चुका है.

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