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इस मुस्लिम देश में गाजा से भी बदतर हालात, 'डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने बंद की सारी सेवाएं

Sudan Violence: सूडान अप्रैल 2023 से गृहयुद्ध की चपेट में है. सेना और आरएसएफ के बीच हिंसक संघर्ष शुरू होने के बाद से सूडान में गृहयुद्ध की स्थिति बनी हुई है. इस संघर्ष में अब तक 24,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, 1.4 करोड़ से अधिक लोग बेघर हो गए हैं.

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इस मुस्लिम देश में गाजा से भी बदतर हालात, 'डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने बंद की सारी सेवाएं
Zee Salaam Web Desk|Updated: Feb 25, 2025, 12:07 PM IST
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Sudan Violence: सूडान में हिंसा का दौर जारी है. इस हिंसा की वजह से सूडान के हालात गाजा से भी बदतर हो गए हैं. इस बीच सूडान से बहुत ही बुरी खबर सामने आई है. बढ़ते हमलों की वजह से अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा सहायता संगठन 'डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (एमएसएफ) ने आज से अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं. यह संगठन ने सूडान के भुखमरी प्रभावित ज़मज़म शिविर में अपनी सहायता सेवा पर पूरी तरह से रोक दी है.

एमएसएफ ने क्या कहा?
एमएसएफ ने बताया कि उत्तरी दारफुर के रिफ्यूजी कैंप में सूडानी सेना और उसकी प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिक बल 'रैपिड सपोर्ट फोर्सेज' (आरएसएफ) के बीच संघर्ष तेज हो गया है. संगठन ने एक बयान में कहा कि हालात ऐसे हो गए हैं कि हजारों विस्थापित लोगों को वॉलंटियर्स मानवीय सहायता पहुचाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. एमएसएफ ने ज़मज़म में अपनी सभी सेवाएं निलंबित कर दी हैं.

1 करोड़ से ज्यादा लोग हो गए हैं बेघर
सूडान में एमएसएफ के मिशन प्रमुख याहया कलिला ने कहा, "बढ़ती तबाही के बीच ज़मज़म में अपना अभियान रोकने का फैसला दुखदायक है." सूडान अप्रैल 2023 से गृहयुद्ध की चपेट में है. सेना और आरएसएफ के बीच हिंसक संघर्ष शुरू होने के बाद से सूडान में गृहयुद्ध की स्थिति बनी हुई है. इस संघर्ष में अब तक 24,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, 1.4 करोड़ से अधिक लोग बेघर हो गए हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है.

तीन महीने में 1 हजार से ज्यादा लोगों की मौत
सूडान में पिछले तीन सालों से अर्धसैनिक बल 'रैपिड सपोर्ट फोर्स' और सेना के बीच संघर्ष चल रहा है. इस हिंसा के चलते पश्चिमी सूडान के उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी एल फशेर में घेराबंदी जारी थी, जिसके चलते मई 2024 से अब तक कम से कम 1 हजार लोग मारे गए थे और 1,143 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के कार्यालय ने थी.

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