Sudan War Update: सूडान के पश्चिमी क्षेत्र में एक स्थानीय बाजार पर सैन्य हवाई हमले में कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई है. डारफुर में विस्थापित लोगों की मदद करने वाली स्थानीय समूह जनरल कोऑर्डिनेशन के प्रवक्ता एडम रेजल ने बताया कि सोमवार को तोरा गांव पर हुए हमले में भीषण आग लग गई.
इसकी जानकारी देते हुए सूडानी सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल नबील अब्दुल्ला ने कहा कि इस हमले में नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप गलत हैं. ब्रिगेडियर जनरल नबील अब्दुल्ला ने कहा कि जब भी हमारी सेना अपने शत्रुओं से निपटने के लिए अपने संवैधानिक और कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करती हैं, तो इस तरह के आरोप लगाए जाते रहे हैं.
इस हमले में उत्तरी दारफुर प्रांत की राजधानी एल-फैशेर से 80 किलोमीटर (50 मील) उत्तर में स्थित तोरा के साप्ताहिक बाजार का एक बड़ा हिस्सा बरबाद हो गया. दारफुर संघर्ष पीड़ितों को मदद पहुंचाने वाले लोकल ग्रुप 'सपोर्ट दारफुर विक्टिम्स' ने घटना की एक वीडियो फुटेज शेयर की है. वीडियो में छतिग्रस्त ढांचे और जले हुए शवों को देखा जा सकता है.
स्थानीय समूह जनरल कोऑर्डिनेशन के प्रवक्ता एडम रेजल के जरिये जारी की गई मृतकों की सूची के मुताबिक, मृतकों में आधे से अधिक महिलाएं है. जबकि 23 लोग घायल हुए हैं और सात लापता हैं. एडम रेजल ने कहा कि यह हमला इंसानियत के खिलाफ जुर्म और साफ तौर पर अंतरराष्ट्रीय मानवीव कानूनों और संधियों का उल्लंघन है.
एल-फैशेर शहर सूडानी सेना के नियंत्रण में है, हालांकि शक्तिशाली प्रतिद्वंदी पैरामिलिट्री ग्रुप रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (RSF) के जरिये लगभग रोजाना हमले किए जा रहे हैं. यूएन के मानवीय मामलों के प्रमुख, वोल्कर टर्क ने टोरा बाजार में हुई हत्याओं पर दुख व्यक्त किया.
सूडान में यूएन के मानवीय समन्वयक क्लेमेंटाइन एनक्वेटा सलामी ने कहा कि सोमवार का भयानक हमला, इस संघर्ष के दौरान मानवीय जीवन और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून की बढ़ती अनदेखी का एक और उदाहरण है. यूएन की प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि यूएन के सहयोगियों के अनुसार, एल-फैशेर में कुछ घायलों को समय पर इलाज न मिलने की वजह से वे जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. यहां ज्यादातर स्वास्थ्य सुविधाएं घेराबंदी की वजह से लगभग बंद हो चुकी हैं.
बीते सोमवार को हुआ हमला अप्रैल 2023 में शुरू हुए युद्ध के बाद से सबसे घातक हमलों में से एक है. हालिया दिनों में सेना और RSF के बीच बढ़ता तनाव ने खुले युद्ध का रुप ले लिया है. इस युद्ध की वजह से राजधानी समेत देश के अन्य शहरी इलाके नष्ट हो गए हैं. इस युद्ध में अब तक 28 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं और लाखों लोगों मजबूरी में घर छोड़कर जाना पड़ा. देश के कुछ हिस्सों में पड़ रहे अकाल की वजह से कई परिवार अपना पेट भरने के लिए घास खाने को मजबूर हैं. आशंका है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है.
यूएन और इंटरनेशनल राइट्स ग्रुप के मुताबिक, इस युद्ध में मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें गैंगरेप और जातीय भेदभाव से प्रेरित हत्याएं शामिल हैं. सेना को हालिया कुछ महीनों में खारतूम के साथ देश के दूसरे हिस्सों में RSF के खिलाफ लगातार कामयाबी मिली है. मार्च में सेना ने राजाधानी की अधिकतर महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों को दोबार अपने नियंत्रण में ले लिया है, इसमें रिपब्लिकन पैलेस भी शामिल हैं. रिपब्लिकन पैलेस युद्ध से पहले सरकार का मुख्यालय था.