Donald Trump Palestine: कोलंबिया युनिवर्सिटी ग्रेजुएट महमूद खलील ने अमेरिकी सरकार से बड़ी मांग की है. दरअसल उन्हें कैंपस में फ़िलिस्तीनी समर्थक प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया था और 100 दिनों के लिए रखा गया था. अब उन्होंने मुआवजे की मांग की है.
उनके वकीलों ने गुरुवार को 2 करोड़ डॉलर का मुक़दमा दायर किया, जिसमें झूठे कारावास, दुर्भावनापूर्ण अभियोजन और यहूदी-विरोधी बेबुनयाद इल्जाम लगाने के मामले में मानहानि का आरोप लगाया. अमेरिकी सरकार उन्हें निर्वासित करना चाहती है क्योंकि उनका आरोप है कि उनकी गतिविधियाँ देश की विदेश नीति के हितों के लिए हानिकारक हैं.
जून के आखिर में, एक संघीय न्यायाधीश ने अपने फ़ैसले में कहा कि खलील समुदाय के लिए कोई ख़तरा नहीं हैं और उन्हें रिहा किया जाना चाहिए और उनकी आव्रजन कार्यवाही जारी रहनी चाहिए.
- अपने मुकदमे में, खलील के वकीलों का कहना है कि खलील को झूठी गिरफ़्तारी, झूठी कैद, दुर्भावनापूर्ण अभियोजन, जानबूझकर भावनात्मक नुकसान पहुंचाया.
- वकीलों ने कहा इन इल्जामों की वजह से उन्हें भावनात्मक कष्ट हुआ.
- उनका कहना है कि यह हर्जाना विदेश मंत्री मार्को रुबियो के उस बयान का नतीजा है जिसमें उन्होंने खलील को नेगेटिव और विदेश नीति के लिए हानिकारक बताया था.
अमेरिका के स्थायी निवासी खलील को मार्च की शुरुआत में न्यूयॉर्क स्थित उनके घर पर उनकी गर्भवती पत्नी के सामने गिरफ्तार किया गया था. सीरिया में पले-बढ़े एक फ़िलिस्तीनी शरणार्थी खलील पिछले साल न्यूयॉर्क शहर के कोलंबिया विश्वविद्यालय में फ़िलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शनों के दौरान चर्चा में आए थे.
अमेरिका मे इजराइल की आलोचना करने वाले कई छात्रों को गिरफ्तार किया गया था. ये प्रदर्शन गाजा में इजराइल के नरसंहार के खिलाफ था. गिरफ्तार हुए लोगों में तुर्की की छात्रा रमीसा और तुर्की-भारतीय विद्वान बद्र खान सूरी शामिल हैं. हालांकि कई को रिहा किया जा चुका है.