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उर्दू से क्यों है इतनी नफरत; अब रेलवे स्टेशनों पर उर्दू में लिखे नाम पर जताई गई आपत्ति

Railway Urdu Name: रेलवे स्टेशनों का नाम उर्दू में लिखने के खिलाफ एक हिंदूवादी संगठन ने आपत्ति जाताई है, और मांग की गई है कि स्टेशन का नाम सिर्फ हिंदी में लिखना होगा. संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि स्टेशन का नाम उर्दू में होने पर इस्लामिक शहर का आभाष होता है. पूरी जानकारी के लिए नीचे स्क्रॉल करें.   

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उर्दू से क्यों है इतनी नफरत;  अब रेलवे स्टेशनों पर उर्दू में लिखे नाम पर जताई गई आपत्ति
Zeeshan Alam|Updated: Jun 04, 2025, 04:38 PM IST
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Railway Urdu Name: भारत की खूबसूरती विविधता है. इस खूबसूरती में भाषा की विविधता भी है. हमने देखा कि मुल्क भर में उर्दू नाम वाले कई रोड और रेलवे स्टेशनों का नाम बदल दिया गया. अब इस प्रकार की राजनीति और मांग अपनी आकार बढ़ा रही है. ताजा विवाद रेलवे स्टेशन्स का नाम उर्दू भाषा में लिखने से जुड़ा हुआ है. राष्ट्रीय सनातन महासंघ नाम के एक हिंदूवादी संगठन ने उर्दू भाषा के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है, और किसी भी पत्र या रेलवे स्टेशनों का नाम सिर्फ राज भाषा हिंदी में लिखने की मांग की है.  

राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने केंद्रिय रेलवे को एक पत्र लेखा है, जिसमें रेलवे स्टेशनों का नाम उर्दू में लिखने पर आपत्ति जताते हुए सिर्फ हिंदी भाषा में लिखने की मांग की है. इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौशल किशोर का कहना है कि स्टेशन्स का नाम उर्दू में लिखा देखकर उन्हें इस्लिामिक शहर का आभाष होता है. उन्होंने अपने बयान में कहा है कि उर्दू में लिखा नाम स्वीकार्य नहीं है. हालांकि किसी भी रेलवे स्टेशन का नाम उर्दू,  हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषा में लिखे जाते हैं.

बता दें कि भारत में बड़ी तादाद में उर्दू बोलने, लिखने, पढ़ने और समझने वाले लोग हैं. साथ ही विदवानों का मानना है कि उर्दू बाहरी भाषा नहीं बल्कि इस भाषा का जन्म यहीं हुआ है, और आज इंडियन सबकॉन्टिनेंट के कई मुल्कों में उर्दू भाषा बोलने वाले लोग है. भारत में भाषा पर विवाद, राजनीति बहुत पूरानी है. लोगों के लिए भाषा काफी महत्व रखता है. कई राज्यों का निर्माण सिर्फ भाषा के आघार पर हुए हैं, जैसे- आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात

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