AIMIM on Bihar Assembly Election: बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा इलेक्शन होने हैं. सियासी पार्टियों ने अभी से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी कड़ी में AIMIM ने भी कमर कस ली है और राज्य में चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है. बिहार चुनाव में अब तीसरे मोर्चे को लेकर भी संभावना बनती दिख रही है.
AIMIM ने दूसरे सियासी पार्टियों से इसको लेकर बातचीत शुरू कर दी है. महागठबंधन की तरफ से AIMIM के लिए अपनाए गए उदासीन रुख के बाद बिहार प्रदेश प्रमुख अख्तरुल ईमान ने कहा कि मंजिल तक पहुंचने के लिए पार्टी ने अपने लिए सभी विकल्प खोल रखे हैं.
विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा, "हम थर्ड फ्रंट के लिए भी कोशिश कर रहे हैं. अगर ट्रेन छूट जाती है तो लोग बस से सवारी करेंगे. मंजिल तक पहुंचने के लिए तो कुछ करना ही होगा. थर्ड फ्रंट के लिए कई लोगों से बातचीत चल रही है. मेरा ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस पहले से था ही. हमारे कुछ लोग हैं और कुछ नए साथियों से बातचीत हो रही है."
बिहार की गरमाई सियासत
AIMIM नेता के इस बयान के बाद बिहार की सियासत गरमा गई है. एआईएमआईएम ने महागठबंधन का खेल बिगाड़ने के लिए कमर कस ली है. लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटें जीतने में भी कामयाब रही थी. इस सफलता के बाद ओवैसी काफी उत्साहित हैं. बाकी 15 सीटों पर एनडीए, महागठबंधन और एआईएमआईएम के बीच कड़ी टक्कर थी. इस चुनाव में जहां से ओवैसी की पार्टी के कैंडिडेट इलेक्शन लड़े थे. वहां ज्यादातर बीजेपी कैंडिडेट्स ने बाजी मारी थी. हालांकि, 2 साल बाद AIMIM के 4 विधायक राजद में शामिल हो गए थे.
टेंशन में तेजस्वी
बिहार की 243 विधानसभा सीटों में करीब 17 फीसद वोटर मुस्लिम हैं. अब तक ये वोटर ज़्यादातर राजद को ही वोट देते रहे हैं लेकिन अब AIMIM के एक्टिव होने से खासकर सीमांचल जैसे इलाकों में मुस्लिम वोट बंट सकते हैं. वहीं, बिहार के 47 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान वोटर चुनाव का रिजल्ट तय कर सकते हैं. इन 47 सीटों पर मुस्लिम आबादी 50 फीसद के करीब है. वहीं 11 सीटों पर मुस्लिम वोटर करीब 40 फीसद हैं. ऐसे में हर पार्टी की कोशिश होगी कि वो मुस्लिम वोट बैंक को अपनी तरफ खींच सके. अगर ऐसा हुआ तो महागठबंधन को नुकसान हो सकता है और इसका फायदा एनडीए को मिल सकता है, भले ही सीधा नहीं हो.