Trump's Travel ban order: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अफगानिस्तान सहित 12 देशों के नागरिकों पर लगाए गए नए यात्रा प्रतिबंध ने नई चिंताओं को जन्म दे दिया है. ट्रंप के इस फैसले से खास पर अफगानी परिवार प्रभावित हैं, और उनके अंदर भय का माहौल है. क्योंकि ये लोग अफगानिस्तान में तालिबान का दुबारा शासन आने के बाद तालिबान के डर से अफगानिस्तान में न रहकर अमेरिका में रहने का फैसला किया था. अब ट्रंप के नए फरमान के बाद ये लोग अपने रिश्तेदारों से भी नहीं मिल पाएंगे.
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का खूब विरोध हो रहा है. शरणार्थी सहायता समूह, 'अफगान इवैक' ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे "राजनीतिक प्रदर्शन" बताया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय बचाव समिति (आईआरसी) ने भी इस आदेश को "अमानवीय और अन्यायपूर्ण" करार दिया और कहा कि यह पहले से ही वर्षों से विस्थापन और संघर्ष से पीड़ित परिवारों को मनमाने ढंग से अलग करता है.
अफगानी शर्णारिथियों ने मीडिया को बताई अपनी तकलीफ
" मोहम्मद शराफुद्दीन, जिन्होंने करीब नौ साल पहले अमेरिका में शरण मांगी थी, लंबे समय से अपने भतीजे को सुरक्षित वापस लाने की उम्मीद कर रहे थे. तालिबान शासन के तहत अफगान महिलाओं की पीड़ा का जिक्र करते हुए उन्होंने एबीसी न्यूज से कहा, "अफगानिस्तान को भी इसमें शामिल सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ." उन्होंने कहा, "मैं उसे फोन करने के लिए तैयार नहीं हूं. यह विनाशकारी खबर है. वह बेचैन है और आना चाहता है. मुझे नहीं पता कि उसे यह कैसे समझाऊं.
इसे भी पढ़ें: गद्दारों के लिए पसीजा तालिबान का दिल; कहा- वापस आ जाओ, नहीं दूंगा कोई सजा
अमेरिका समर्थित अफगानों के साथ ट्रंप की धोखेबाजी
आलोचकों का तर्क है कि यह प्रतिबंध अफगान सहयोगियों के साथ विश्वासघात करता है जिन्होंने अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशनों का समर्थन किया था. वहीं, अफगानिस्तान ने गुजिश्ता 7 जून को बकरीद के मौके पर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वह उन लोगों को माफ कर रहा है, जो पूर्व में अमेरिका को समर्थन कर रहे थे, और तालिबान के विरोध में थे. साथ ही उन लोगों को अफगानिस्तान वापस लौटने के लिए भी कहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अगर अफगानिस्तान आते हैं, तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.