Bangladesh News: दिल्ली स्थित मानवाधिकार संगठन राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप (RRAG) ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार के शासनकाल में मीडिया की स्वतंत्रता बुरी तरह प्रभावित हुई है. संगठन के मुताबिक, अगस्त 2024 से जुलाई 2025 के बीच 878 पत्रकारों निशाना बनाया गया, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल की तुलना में 230 फीसद ज्यादा है.
संगठन के निदेशक सुहास चकमा के मुताबिक, पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या एक साल में 35 से बढ़कर 195 हो गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनुस सरकार ने न केवल पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज किए, बल्कि उन्हें मान्यता देने से भी इनकार कर दिया. 167 पत्रकारों को सरकारी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया, जबकि पहले ऐसा कोई उदाहरण नहीं था. इसके अलावा, बांग्लादेश वित्तीय खुफिया इकाई (BFIU) ने 107 पत्रकारों को नोटिस भेजे, इसे भी यूनुस शासन की एक नई रणनीति माना जा रहा है.
पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा
हिंसा और धमकियों के मामले भी बढ़े हैं. शेख हसीना के शासनकाल में जहां 348 पत्रकारों को धमकियां मिली थीं, वहीं यूनुस के कार्यकाल में यह संख्या बढ़कर 431 हो गई. सबसे गंभीर मामला 25 जून 2025 को सामने आया जब दैनिक मातृजाति के संवाददाता खंडाकर शाह आलम की हत्या कर दी गई. हत्यारा 'टाइगर बाबुल डाकत' नाम का एक व्यक्ति था, जिसने जेल से रिहा होने के बाद बदला लेने के इरादे से इस हत्या को अंजाम दिया.
मीडिया पर सेंसरशिप और गिरफ्तारी वारंट
रिपोर्ट में कहा गया है कि 27 जुलाई 2025 को ढाका के साइबर ट्रिब्यूनल ने डिजिटल सुरक्षा अधिनियम (DSA) के तहत बांग्लादेश प्रतिदिन के संपादक नईम निज़ाम, प्रकाशक मोयनाल हुसैन और बांग्ला इनसाइडर के संपादक सैयद बोरहान कबीर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए. यह तब हुआ जब सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी थी कि सभी डीएसए मामले वापस ले लिए जाएंगे. दूसरे घटना में 21 अप्रैल को द डेली स्टार ने अपने संवाददाता कोंगकोन कर्माकर को बर्खास्त कर दिया, क्योंकि उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यक भवेश चंद्र रॉय की हत्या की रिपोर्टिंग की थी, जिसका मुद्दा भारतीय मीडिया और विदेश मंत्रालय ने उठाया था.
अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग
आरआरएजी के निदेशक चकमा ने कहा कि यूनुस सरकार मीडिया को डराने और दबाने के लिए 'सीए प्रेस विंग फैक्ट्स' नामक एक इकाई का इस्तेमाल कर रही है, जो सेंसरशिप का एक वास्तविक केंद्र बन गया है. संगठन ने यह भी कहा कि वे बांग्लादेश को दिए जा रहे समर्थन की समीक्षा की मांग के लिए यूके मानवाधिकार समिति और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से संपर्क करेंगे.