Congress Protest: आज यानी बुधवार को कांग्रेस मुल्क भर में प्रोटेस्ट करने वाली है. इसके पीछे वजह सेबी की चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट है, जिसमें उनके खिलाफ कई तरह के आरोप लगाए गए हैं. पार्टी की डिमांड है कि सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की चेयरमैन इस्तीफा दें और एक ज्वाइंट पार्लिमेंट कमेटी अडानी मामले में जांच करे.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस महीने की शुरुआत में अपनी एक नई रिपोर्ट पेश की और आरोप लगाया है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति के पास अडानी ग्रुप के कथित वित्तीय कदाचार से जुड़ी अपतटीय संस्थाओं में हिस्सेदारी थी. अमेरिकी इनवेस्टमेंट रिसर्च फर्म ने यह भी कहा है कि अडानी पर अपनी "निंदनीय रिपोर्ट" के 18 महीने बाद, "सेबी ने अडानी के मॉरीशस और अपतटीय शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है."
हालांकि, पति-पत्नी ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि उनका वित्तीय मामला खुली किताब है. अडानी ग्रुप ने भी आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और जोड़-तोड़ वाला बताया है, कंपनी का कहना है कि यह रिसर्च चुनिंदा पब्लिक इनफोर्मेश पर आधारित है.
राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने बुधवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, "कल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश भर में 20 प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगी, जिसमें मोदानी महाघोटाला की जांच के लिए जेपीसी की जरूरत पर रोशनी डाली जाएगी, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था और करोड़ों छोटे इनवेस्टर्स पर बड़ा प्रभाव पड़ा है. जिनके लिए पूंजी बाजार नियामकों की ईमानदारी आवश्यक है."
दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया है कि वह सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करेगी. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने माधबी बुच की ईमानदारी और निष्पक्षता पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि अडानी समूह के सौदों की जांच करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद, सेबी प्रमुख ने 18 महीने की देरी के बाद भी सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारी देकर गुमराह किया.
उन्होंने कहा कि केवल डोमेन एक्सपर्ट वाली जेपीसी जांच ही अडानी ग्रुप के ‘धूर्त सौदों’ के बारे में पूरी सच्चाई को उजागर कर सकती है. उन्होंने कहा कि चूंकि मोदी सरकार नियामक की नियुक्ति के बावजूद हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर चुप रही है, इसलिए केवल जेपीसी जांच ही अडानी समूह के हितों की रक्षा में सेबी की मिलीभगत को उजागर कर सकती है.