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Depression In Children: कोविड के बाद बच्चों में भी होने लगी है डिप्रेशन की समस्या, ऐसे करें इलाज

Depression In Children: डिप्रेशन की समस्या ऐसी है जिसका जल्दी से पता नहीं चल पाता है. दुनियाभर में डिप्रेशन के काफी मामले आते हैं. जिनमें देखा गया कि यह बीमारी ज्यादातर युवाओं में होती है.

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Depression In Children: कोविड के बाद बच्चों में भी होने लगी है डिप्रेशन की समस्या, ऐसे करें इलाज
Zee Salaam Web Desk|Updated: Oct 10, 2022, 11:20 PM IST
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Depression In Children: डिप्रेशन से आज के वक्त में काफी लोग परेशान हैं. जवान लोगों में यह समस्या काफी देखने को मिलती है. लेकिन अब बच्चों में भी यह समस्या देखने को मिल रही है. जो कि काफी फिक्र की बात है. द कन्वरसेशन (The Conversation) में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड19 के दौर के बाद से बच्चों में डिप्रेशन की समस्या बढ़ गई है. रिपोर्ट के अनुसार कोविड के दौरान कुछ परिवार की आर्थिक हालत बिगड़ी तो उसका सीधा असर बच्चों की मांसिक स्तिथि पर पड़ा है. 

हिंसा का मांसिक स्तिथि पर पड़ा असर

ऐसा देखा गया है कि कोविड में लॉकडाउन के दौरान घरेलू हींसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. जिसकी वजह से ऐसे मामले भी आने लगे हैं. जानकारों का मानना है घर में होने वाली हिंसा बच्चों की मांसिक स्तिथि पर सीधे तौर पर असर डालती है. बच्चों के दिमागम में जो चीज बैठ जाती है वह लंबे वक्त तक बैठी रहती है.

बच्चों में डिप्रेशन को पहचाने?

- एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसा देखा गया है कि अलग-अलग उम्र के बच्चों में डिप्रेशन के अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं.
- डिप्रेशन के कारण बच्चों में चिड़चिड़ा पन आ जाता है और गई बार वह काफी गुस्सा आता है.
- डिप्रेशन से जूझ रहे बच्चे अपना पसंदीदा काम इंजॉयज पसंद करना बंद कर देते हैं.
- डिप्रेशन की वजह से लोगों को सिर दर्द और पेट दर्द की समस्या आने लगते हैं.
- अगर आपके बच्चे को भूख कम लग रही है और वह ज्यादा सो रहा है तो ये डिप्रेशन के लक्षम हो सकते हैं.
- इसके साथ अगर बच्चा अकेला रहना पसंद करता है तो यह भी एक डिप्रेशन का लक्षण हो सकते हैं.

डिप्रेशन का कैसे करें इलाज

डिप्रेशन का इलाज बहुत जरूरी है. अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो तरह-तरह की शारीरि समस्याएं आने लगती हैं. इसके अलावा डिप्रेशन एक घातक रूप भी ले सकता है. अगर आपके बच्चें में ऊपर दिए गए लक्षण दिख रहे हैं तो उसे  एक्सपर्ट या मनोवैज्ञानिक को जरूर दिखाएं. कोशिश करें कि बच्चा आपके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताए और उसके मन को जानने की कोशिश करें. 

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