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क्या सभी मुसलमान करते हैं 4-4 शादियां; चौंका देगी हरियाणा सरकार की ये रिपोर्ट!

Polygamy in Hariyana: एक आम धारणा है कि मुसलमान 4- 4 शादियाँ करते हैं, लेकिन हाल में हरियाणा सरकार ने परिवार पहचान पत्र के लिए एक सर्वे किया है, जिसमें सामने आया है कि प्रदेश की कुल 2.58 करोड़ की आबादी में सिर्फ 2700 ही ऐसी आबादी है, जिनकी दो या दो से ज्यादा पत्नियां हैं. इन आंकड़ों में हिन्दू-मुसलमान दोनों को शामिल किया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि एक से अधिक शादियों का चलन देश में 1.5 फीसदी से भी कम है. ख़ास बात ये है कि देश में मुसलमानों से ज्यादा आदिवासी समूहों में एक से अधिक शादियों का चलन ज्यादा है. 

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AI निर्मित प्रतीकात्मक तस्वीर
AI निर्मित प्रतीकात्मक तस्वीर
Dr. Hussain Tabish|Updated: Aug 01, 2025, 12:54 PM IST
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नई दिल्ली: दक्षिणपंथी समूह अक्सर ये इल्ज़ाम लगाते हैं कि मुसलमान देश की आबादी बढ़ा रहे हैं. वो एक साथ 4- 4 शादियाँ करते हैं, और उनसे 40 बच्चे पैदा करते हैं. वो इस मिथ्य या अफवाह का प्रचार इसलिए भी करते हैं, ताकि मुसलमानों के प्रति नफरत को बढ़ाव दिया जा सके और देश के ओवर पापुलेशन के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सके. 

वो ऐसा इसलिए करते हैं, क्यूंकि मुसलमान में शरिया कानून के मुताबिक एक पुरुष को कुछ शर्तों के साथ एक साथ 4 शादियाँ करने की छूट है. जबकि दूसरी जानिब हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध सहित अन्य सभी धार्मिक समुदायों में बहुविवाह यानी एक पत्नी के रहते हुए दूसरा विवाह करना अपराध माना गया है. ऐसा करने पर भारतीय दंड संहिता के तहत ऐसे पुरुषों को दण्डित करने का प्रावधान है. हालांकि, देश में कुछ आदिवासी समूह में बहुपत्नी और बहुपति विवाह भी चलन में है.  

यहाँ ये भी गौर करने वाली बात है कि बहुविवाह के खिलाफ कठोर कानूनी प्रावधानों के बावजूद भारत में मुसलमानों को छोड़कर दूसरे धर्मों के लोग भी एक से ज्यादा शादियाँ करते हैं या पत्नियाँ रखते हैं. इस बात की तस्दीक 2019-20 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से भी होती है, जिसमें बताया गया है कि भारत में 1.3% हिंदू, 1.9% मुस्लिम और 1.6% अन्य धार्मिक समुदायों में भी एक से ज्यादा शादियाँ होती है. एक तरह से भारत में बहुविवाह देश की कुल जनसँख्या में सिर्फ 1.4 फीसदी आबादी ही बहुविवाह के बंधन में है. आबादी की लिहाज से देखा जाए तो इस मामले में मुसलमानों में बहुविवाह की संख्या दूसरे धर्मों के मुकाबले में थोड़ी ज्यादा है.  

2019-20 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय औसत 1.4 फीसदी बहुविवाह की दर में अनुसूचित जनजातियों में 2.4, अनुसूचित जातियों में 1.5, अन्य पिछड़ा वर्ग में 1.3 तथा अन्य में 1.2 है, जबकि मुस्लिमों में ये संख्या 1.9% फीसदी है. लेकिन इस मामले में मुसलमान में बहुविवाह का दर अनुसूचित जनजातियों में 2.4 फीसदी से कम है. 
 
हम इस मुद्दे को हरियाणा में परिवार पहचान पत्र के लिए जुटाए गए ताजा आंकड़ों से समझने की कोशिश करेंगे, जिसमें बताया गया है कि हरियाणा की कुल आबादी में सिर्फ 2700 ही ऐसी आबादी है, जिनकी दो या दो से ज्यादा पत्नियां हैं.  2011 के आबादी सर्वे के मुताबिक, हरियाणा की कुल आबादी 2.58 करोड़ है. इसमें मुस्लिम आबादी 7.03 फीसदी है, जो लगभग 17.81 लाख होती है.  हरियाणा की आबादी में लगभग 50. 35 हज़ार ईसाई आबादी भी शामिल है. 
 

हरियाणा में सभी जिलों से जुटाए गए आकंड़ों के मुताबिक, पूरे राज्य में 2779 लोग ऐसे हैं जिनकी दो या दो से ज्यादा पत्नियां हैं. इनमे 2761 व्यक्तियों की दो पत्नियां, 18 की तीन और 3 लोगों की 3 से ज्यादा पत्नियां हैं. यानी प्रदेश में 17.81 लाख की मुस्लिम आबादी होते हुए भी सिर्फ तीन आदमी ऐसा मिला है, जिसकी चार पत्नियाँ हैं. प्रदेश की कुल 2.58 करोड़ की आबादी में सिर्फ 18 आदमी के पास ही 3 पत्नियां हैं. 

जिलेवार आंकड़े जहाँ के लोगों ने दो- दो शादियाँ की हैं  
अंबाला में 87
भिवानी में 69
चरखी दादरी में 30 
फरीदाबाद में 267 
फतेहाबाद में 104 
गुरुग्राम में 157
हिसार में 152
झज्जर में 72 
जींद में 146
कैथल में 92
करनाल 171 
कुरुक्षेत्र में 96
महेंद्रगढ़ में 81
पलवल में 178
पंचकूला में 44
पानीपत में 129 
रेवाड़ी में 80 
रोहतक में 78 
सिरसा में 130
सोनीपत में 134
यमुनानगर में 111 

जिलेवार आंकड़े जहाँ के लोगों ने दो से ज्यादा शादियाँ की हैं  
भिवानी में 2 
फरीदाबाद में 2
हिसार में 1
झज्जर में 1 
जींद में 1
करनाल में 5
कुरुक्षेत्र में 1
नूंह में 1 
पलवल में 1
रेवाड़ी में 1
सोनीपत में 2

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि हरियाणा के नूंह में सबसे ज्यादा 353 लोग ऐसे हैं जिनकी 2 से ज्यादा पत्नियां हैं, जबकि चरखी दादरी में सिर्फ 30 लोगों की दो- दो पत्नियाँ हैं. नूंह हरियाणा का एकमात्र मुस्लिम बहुमत वाला जिला है, जहाँ मुस्लिम की कुल आबादी 67.42 फीसदी है, जबकि हिन्दू आबादी 32.3 और 0.03 अन्य धर्म के लोग निवास करते हैं. वहीँ अगर हम चरखी दादरी  की बात करें तो यहाँ सबसे कम मुस्लिम आबादी निवास करती हैं. जिले की कुल आबादी का सिर्फ 0.82 फीसदी मुस्लिम आबादी यानी सिर्फ 280 मुसलमान रहते हैं. 

परिवार पहचान प्राधिकरण के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. सतीश खोला ने बताया कि हरियाणा परिवार पहचान पत्र धर्म निर्पेक्ष है, जिसमें व्यक्ति का धर्म नहीं लिखा जाता है. सरकारी योजनाओं का फायदा देने के लिए सभी नागरिक की जाति जरूर लिखी गई है, लेकिन धर्म नहीं लिखा गया है. इसके अलावा परिवार पहचान पत्र एक स्वयं घोषित दस्तावेज है, जिसमें व्यक्ति अपने परिवार की सदस्यों की संख्या खुद बताता है कि उसकी कितनी पत्नी या बच्चे हैं. इससे यह साफ़ हो जाता है कि सरकार द्वारा जुटाए गए एक से ज्यादा शादियों के आंकड़े सिर्फ मुसलमानों के नहीं है. इसमें वो 1.7 फीसदी दो पत्नियों वाले हिन्दू पुरुष भी शामिल होंगे, जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में शामिल किये गए हैं. 

इससे ये स्पष्ट हो जाता है कि देश में मुसलमानों में भी 4-4 या फिर तीन शादियां करने वाले लोगों या मुसलमानों की आबादी न के बराबर है. 4 बीवी और 40 बच्चे की थ्योरी सिर्फ मुसलमानों की छवि खराब करने के लिए गढ़ी गयी है. देश में महिला- पुरुष लिंगानुपात की बात करें तो 1 हज़ार पुरुषों पर 927 महिलाएं हैं. ये लिंगानुपात हिन्दू और मुस्लिम धार्मिक समूहों में अलग-अलग है. हिंदुओं में महिला -पुरुष लिंग अनुपात 931 है, तो मुसलमानों में 1000 पुरुषों पर सिर्फ 936 महिलाएं हैं. राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो महिलाओं की आबादी पुरुषों से 6 फीसदी कम है. देश में हर 1000 हिन्दू पुरुषों में 69 ऐसे लोग हैं, जो चाहकर भी शादी नहीं कर सकते हैं, क्यूंकि उनके हिस्से की कोई महिला नहीं है. वहीँ, 1000 मुस्लिम पुरुषों में 66 ऐसे लोग हैं, जो शादी की इच्छा रखने के बावजूद लड़की न मिलने की वजह से शादी नहीं कर पाएंगे या पाते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है की अगर बहुर सारे मुस्लमान एक से ज्यादा शादियां करते हैं, तो उनके लिए शादी के लिए महिलाएं कहाँ से आती है ? 

कई सर्वे में इस बात की तस्दीक की गई है कि उच्च शैक्षणिक योग्यता वाली महिलाओं की तुलना में बिना औपचारिक शिक्षा वाली महिलाओं में एक ही पुरुष से दो- दो महिलाओं की शादी का ट्रेंड अधिक देखा गया है.. आर्थिक रूप से महिलाओं की आत्मनिर्भरता भी बहुविवाह को कम करता है. 

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