Railway Station Name Change : पूरा भारत देश आने वाली 22 जनवरी का इंतेजार काफी बेसब्री से कर रही है. क्योंकि उस दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसकी तैयारियां काफी जोर-शोर से की जा रही है. इस बीच रेल मंत्रालय ने अयोध्या जंक्शन का नाम बदलकर अयोध्या धाम जंक्शन कर दिया है. ये कोई पहला मौका नहीं है कि जब किसी रेलवे स्टेशन का नाम बदला गया हो, हर सरकार में इस तरह से रेलवे स्टेशनों के नाम बदलते रहे हैं.
अयोध्या जंक्शन अब अयोध्या धाम स्टेशन:
सूत्रों की मानें तो उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले अयोध्या जंक्शन का निरीक्षण किया था. इसके बाद उन्होंने ने ही 'अयोध्या जंक्शन' का नाम 'अयोध्या धाम स्टेशन' करने की बात की थी. इसके बाद ही ये फैसला लिया गया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन यानी 22 जनवरी 2024 को ही पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया जाएगा. इससे पहले झांसी के रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर 'वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी' कर दिया गया था. वहीं साल 2021 में भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर 'रानी कमलापति' के नाम पर रखा गया था.
भारतीय रेलवे नहीं बदलती स्टेशन का नाम:
ज्यादातर लोगों का मानना है कि रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का हक भारतीय रेलवे के पास है. लेकिन ऐसा नहीं है इसका फैसला उस राज्य की सरकार करती है जहां के स्टेशन का नाम बदलना होता है. इस काम में भारतीय रेलवे सिर्फ एक पार्टी का काम करती है. रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी तरह से राज्य का विषय है. जब भी किसी स्टेशन का नाम बदलना होता है तो राज्य सरकार इसकी मंजूरी लेने के लिए नोडल मंत्रालय और गृह मंत्रालय के पास अपना प्रस्ताव भेजती है. इसके बाद गृह मंत्रालय इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी देने से पहले रेल मंत्रालय को भी लूप में रखती है. इसके साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि जिस नाम की मंजूरी दी जा रही है, उस नाम से कोई और रेलवे स्टेशन देश में मौजूद ना हो.
स्टेशन कोड के पीछे की कहानी:
राज्य सरकारें जब सारी प्रक्रिया से गुजर जाती है, तो इसकी जानकारी वह भारतीय रेलवे को देती है. और फिर भारतीय रेल, रेलवे स्टेशन का नाम बदले का काम शुरू करती है. इसके बाद स्टेशन कोड पर काम किया जाता है, जिसे रेलवे टिकट में फीड किया जाएगा, क्योंकि हर एक स्टेशन का अपना एक स्पेशल कोड होता है, जो यात्रियों को टिकट के ऊपर नजर आता है. उदाहरण के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का कोड है 'NDLS' और भागलपुर रेलवे स्टेशन का कोड है 'BGP'. इसके बाद बाकी स्टेशन पर लगे बोर्ड से नाम बदलना, प्लेटफॉर्म के साइन बदलने का काम शुरू होता है.
कितनी भाषाओं में होता है रेलवे स्टेशन का नाम:
रेलवे स्टेशनों के नाम पहले सिर्फ हिंदी और इंग्लिश में लिखे जाते थे, लेकिन वक्त के साथ-साथ ये उस इलाके की स्थानीय भाषा में भी लिखा जाने लगा. इस काम को भारतीय रेलवे वर्क्स मैनुअल के मुताबिक किया जाता है. रेलवे को स्टेशन के नाम की भाषा के लिए राज्य सरकार से परमिशन लेनी पड़ती है.
क्यों किया जाता है स्टेशनों का नाम चेंज:
वक्त के साथ-साथ कई स्टेशनों के नाम को बदला गया है. कभी वहां की एतिहासिक धरोहर के नाम पर, कभी उस इलाके के महापुरुषों को सम्मान देने के नाम पर, या फिर कोई राजनीतिक पार्टी अपने किसी एजेंडे को पूरा करने के लिए भी स्टेशनों के नाम को बदलती रही है. कभी-कभी जब किसी राज्य या इलाके का नाम बदलता है, तो साथ-साथ उस जगह के रेलवे स्टेशन के नाम को भी बदला जाता है. जैसे साल 1996 में मद्रास शहर का नाम 'चेन्नई' किया गया तो रेलवे स्टेशन के नाम को भी बदलकर 'चेन्नई' कर दिया गया था.