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क्यों इतना घातक है ब्रम्होस मिसाइल, खूबियां जानकर पकड़ लेंगे सिर

Brahmos Missile Factory in Lucknow: भारत सरकार ने आतंकवादियों पर लगाम कसने और सरहद की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए कई खास हथियारों को विकसित किया है. इसी कड़ी में भारतीय रक्षा उद्योग एक और मील का पत्थर हासिल करने वाला है, क्योंकि DRDO जल्द ही घातक ब्रम्होस मिसाल की नई जनरेशन को लखनऊ में विकसित करेगा. 

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फाइल फोटो
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Zee Salaam Web Desk|Updated: May 11, 2025, 06:17 PM IST
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Uttar Pradesh News Today: पहलगाम हमले के बाद भारतीय फौज ने पाकिस्तानी आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब दिया. इस दौरान भारत ने दुनिया के आधुनिकतम और कई खूबियों से लैस हथियारों से पाकिस्तान दिन में तारे दिखा दिए जिसका पूरी दुनिया ने लोहा माना. इन हथियारों में से कई को भारत में ही विकसित किया गया था. इसी कड़ी में भारतीय सीमा की सिक्योरिटी में अब एक अभेद्य किला तैयार हो रहा है. 

इसके तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ब्रह्मोस नेक्स्ट जनरेशन (NG) सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के निर्माण के लिए एक अत्याधुनिक प्रोडक्शन यूनिट तैयार कर की गई है. इस यूनिट को बनने में लगभग तीन साल का समय और करीब 300 करोड़ रुपये का खर्च आया है. ऐसा पहली बार होगा जब ब्रह्मोस NG जैसी अत्याधुनिक तकनीक से लैसा मिसाइल सिर्फ इसी यूनिट में तैयार की जाएगी.

क्या है खास?

ब्रह्मोस मिसाइल की गिनती दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइलों में होती है. यह सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरती है, जिसकी गति लगभग Mach 2.8 से Mach 3.0 के बीच होती है. इसकी तेजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह मिसाइल आवाज की गति से लगभग तीन गुना तेज (करीब 3,700 से 4,000 किमी प्रतिघंटा) अपने लक्ष्य को निशाना बनाता है. 

अब ब्रह्मोस NG के आने से यह प्रणाली और अधिक प्रभावशाली बनने जा रही है. भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सलाहकार डॉ. सुधीर मिश्रा के मुताबिक, नई ब्रह्मोस NG मिसाइल का वजन करंट वर्जन के मुकाबले आधे से भी कम है. हालिया ब्रह्मोस का वजन जहां 2 हजार 900 किलोग्राम है, वहीं नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल का वजन सिर्फ 1 हजार 260 किलोग्राम होगा. हल्का वजन होने से इसे एक सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में पांच मिसाइलें लोड की जा सकेंगी, जो युद्धक्षमता को कई गुना बढ़ा देगी.

DRDO के सलाहकार डॉ. मिश्रा ने यह भी बताया कि ब्रह्मोस NG की रेंज 300 किलोमीटर होगी और यह 'फायर एंड फॉरगेट' तकनीक पर आधारित होगी, जिससे यह दुश्मन के रडार को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है. इस मिसाइल को जमीन, हवा और समुद्र तीनों माध्यमों से लॉन्च किया जा सकता है. इस समय ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण भारत के तिरुवनंतपुरम, नागपुर, हैदराबाद और पिलानी जैसे शहरों में होता है.

चंदे सेकेंड में दुश्मन का होगा सफाया

अब लखनऊ भी इस लिस्ट में जुड़ गया है, लेकिन यह शहर खास इसलिए है क्योंकि यहां सिर्फ नेक्स्ट जनरेशन मिसाइलों का निर्माण होगा. उत्पादन की बात करें तो फिलहाल हर साल 80-100 मिसाइलें तैयार की जाती हैं, लेकिन आने वाले दिनों में यह संख्या 100 से 150 ब्रह्मोस NG मिसाइलों तक पहुंचने की उम्मीद है. ब्रम्होस की नई जनरेशन के निर्माण से पाकिस्तान और चीन की सीमा पर भारतीय फौज को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलेगी. इसकी मदद से दुश्मन के ठिकानों को चंद सेकेंड में अंजाम तक पहुंचाने में भी मदद मिलेगी.

 

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