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DU-Jamia के कोर्स में क्यों खत्म हो रहा है मुस्लिम रिजर्वेशन? CIC कर रहा बैठक

DU: दिल्ली यूनिवर्सिटी का कलस्टर इनोवेशन सेंटर मीटिंग्स कर रहा है. इस मीटिंग का मकसद जामिया और दिल्ली यूनिवर्सिटी के कोर्स में आरक्षण को खत्म करना है. पूरी खबर पढ़ें.

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DU-Jamia के कोर्स में क्यों खत्म हो रहा है मुस्लिम रिजर्वेशन? CIC कर रहा बैठक
Sami Siddiqui |Updated: Dec 30, 2024, 03:15 PM IST
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DU: दिल्ली यूनिवर्सिटी के क्लस्टर इनोवेशन सेंटर (सीआईसी) जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के साथ ज्वाइंट कोर्स में मुसलमानों के रिजर्वेशन को हटाने का प्रस्ताव करने के लिए पूरी तरह तैयार है. 2013 में शुरू किया गई यह यूनिवर्सिटी मेटा यूनिवर्सिटी कॉन्सेप्ट के तहत जामिया के साथ ज्वाइंट कोर्स से गणित शिक्षा में मास्टर ऑफ साइंस प्रोग्राम कोर्स देता है.

कोर्स की शुरुआत में की गई थी ये बात

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले को सोमवार को सीआईसी की गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में रखा जा सकता है. कोर्स की शुरुआत के समय यह तय किया गया था कि 50 फीसद स्टूडेंट्स  को डीयू में और बाकी 50 प्रतिशत को जामिया में दाखिला दिया जाएगा.

मुसलमानों के लिए आरक्षण

इस प्रोग्राम में एडिमिशन बैचलर प्रोग्राम के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET-PG) के जरिए किया जाता है. एडमिशन प्रोसेस सीट बंटवारे प्लान को फॉलो करती है, जिसमें मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए खास आरक्षण शामिल है.

कैसे हुआ है सींट का बंटवारा

30 सीटों में से 12 अनरिजर्व कैटेगरी के लिए, 6 ओबीसी के लिए, 4 मुस्लिम जनरल के लिए, 3 आर्थिक रूप से कमजोर कैटेगरी के लिए, 2 अनुसूचित जातियों के लिए और 1-1 अनुसूचित जनजाति, मुस्लिम ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं के लिए हैं. 

क्यों हो रहा है मुस्लिम आरक्षण खत्म

 सीआईसी कोर्स में दाखिले में मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने का प्रस्ताव क्यों कर रहा है? एक अधिकारी ने प्रकाशन को बताया: "पूरा विचार यह है कि यूनिवर्सिटी में किसी भी कोर्स में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए." अधिकारी ने कहा, "जाति आरक्षण के तहत वंचितों के लिए कोटा तय करने की बात करें तो यह एक अलग मामला है." अधिकारी ने आगे कहा कि एमएससी प्रोग्राम के लिए एडमिशन प्रोसेस पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत कर दी गई है, पिछले कुछ सालों में सभी छात्रों को जामिया के बजाय डीयू के माध्यम से एडमिशन दिया है.

उन्होंने बताया कि चूंकि डीयू में छात्रों को दाखिला दिया जा रहा है, इसलिए इस बात पर चर्चा हो रही है कि उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी के जरिए अपनाई गई आरक्षण नीति का ही पालन करना होगा. अधिकारी ने कहा, "इस पर चर्चा चल रही है. एक बार जब गवर्निंह बॉडी कोई फैसला ले लेता है, तो हम कुलपति के समक्ष विचार के लिए प्रस्ताव रखेंगे."

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