Kisan Andolan: दिल्ली की ओर मार्च करने वाले किसान रविवार को चार घंटे के लिए देशव्यापी 'रेल रोको' आंदोलन करेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने केंद्र से अपनी मांगें जारी रखने के लिए आंदोलन का आह्वान किया था. 'रेल रोको' विरोध, दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच होगा. राष्ट्रव्यापी 'रेल रोको' आंदोलन में हरियाणा और पंजाब में लगभग 60 स्थानों पर सैकड़ों किसान विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं. इस दौरान ट्रेन से यात्रा कर रहे लोगों को दिक्कतें हो सकती हैं.
इन जगहों पर बैठेंगे किसान
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने शनिवार को कहा कि 'रेल रोको' विरोध के दौरान सैकड़ों किसान फिरोजपुर, अमृतसर, रूपनगर, गुरदासपुर जिलों सहित पंजाब के कई स्थानों पर रेलवे पटरियों पर बैठेंगे. भारती किसान यूनियन (एकता उगराहां), भारती किसान यूनियन (दकौंदा-धनेर) और क्रांतिकारी किसान यूनियन भी 'रेल रोको' आंदोलन में भाग लेंगे.
सीमाओं पर सुरक्षा
'रेल रोको' विरोध से पहले सभी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. हरियाणा में अधिकारियों ने बड़ी गड़बड़ी से बचने के लिए रविवार को अंबाला जिले में धारा 144 लागू कर दी. राज्य में तनावग्रस्त इलाकों में भी पुलिस तैनात की गई है. विरोध प्रदर्शन से आज अंतर-शहर और राज्य ट्रेन शेड्यूल प्रभावित होने की संभावना है. पिछले महीने, किसानों के पटरियों पर धरना देने के कारण दिल्ली-अमृतसर मार्ग पर कई ट्रेनें देरी से चलीं थीं.
फसलों पर MSP
'रेल रोको' विरोध का आह्वान करने वाले किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि किसान मौजूदा विरोध बिंदुओं पर अपना आंदोलन तब तक तेज करेंगे जब तक केंद्र उनकी मांगें पूरी नहीं कर लेता. डल्लेवाल ने शनिवार को केंद्र से सभी फसलों पर एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने की “अपनी जिम्मेदारी से नहीं भागने” का आग्रह किया. किसान नेता ने यह भी कहा कि किसानों को स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित "सी2 प्लस 50 प्रतिशत" फॉर्मूले के तहत उनके अस्तित्व के लिए सभी फसलों पर एमएसपी दिया जाना चाहिए.
किसान नेता की अपील
दल्लेवाल ने पंजाब की सभी पंचायतों से किसानों की मांगों के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित करने का भी आह्वान किया था और कहा था कि केंद्र ने उनके 'दिल्ली चलो' मार्च को रोकने के लिए "सभी हथकंडे" अपनाए. किसानों का विरोध 13 फरवरी को 'दिल्ली चलो' मार्च के साथ शुरू हुआ, जहां संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा सहित 200 से अधिक किसान संघों ने केंद्र पर अपनी मांगें स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करना शुरू किया.