Jammu kashmir News: जब मुल्क में वक्फ बोर्ड में हिंदू सदस्यों की एंट्री पर घमासान मचा हुआ है. ऐसे वक्त में कश्मीर से एक भावुक कर देने वाली कहानी सामने आ रही है, जो एकता, विश्वास और समावेशी राष्ट्रवाद की मिसाल है. जम्मू-कश्मीर के आनंतनाग में बनने वाली साईं मंदिर के ट्रस्ट में एक मुस्लिम व्यक्ति को ट्रस्टी के रूप में नियुक्त किया गया है. यह कदम हमरे मुल्क की गंगा-जमुनी तहजीब और समावेशी सोच को दिखाता है.
दरअसल, सूरत (गुजरात) स्थित एक प्रतिष्ठित धार्मिक एवं सामाजिक संस्था 'साईं मंदिर संस्थान' द्वारा जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में साईं मंदिर का निर्मान कराने की परियोजना के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता फिरदौस बाबा को ट्रस्टी के रूप में नियुक्त किया गया है. लोग इस फैसले की जमकर तारीफ कर रहे हैं. सूरत साईं मंदिर संस्थान के सदर आचार्य श्याम सुरेश इस फैसले का इस्तकबाल करते हुए कहते हैं कि "जब एक हिंदू मंदिर किसी मुस्लिम को सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि कर्तव्यों के लिए ट्रस्टी बनाता है, तब यह हमारी सभ्यता के मूल्यों को दर्शाता है.
बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता फिरदौस बाबा कश्मीर सेवा संघ नाम के संगठन से जुड़े हुए है. वह सालों से कश्मीर में शिक्षा, स्वास्थ्य, पुनर्वास और कौशल निर्माण जैसे क्षेत्रों में काम करते आ रहे हैं . मंदिर ट्रस्ट में उनकी नियुक्ति कोई प्रतीकात्मक कदम नहीं, बल्कि उनके सेवा-भाव, ईमानदारी को देखते हुए यह नियुक्ति की गई है. यह भारत और दुनिया को यह मजबूत और भरोसेमंद संदेश देती है: आस्था व्यक्तिगत है, पर सेवा सार्वभौमिक. एक मुस्लिम व्यक्ति का साईं बाबा जो सभी समुदायों में पूजनीय हैं, के हिंदू मंदिर के मुख्य ट्रस्टियों में से एक बनना यह दर्शाता है कि आध्यात्मिकता और सेवा सभी सीमाओं से ऊपर हो सकती है.