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Gyanpith Award : उर्दू के मशहूर लेखक और गीतकार गुलज़ार को ज्ञानपीठ पुरस्कार

Gulzar selected for Gyanpith Award: इससे पहले गुल्जार को साहित्य अकादमी पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं.   

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उर्दू कवि और गीतकार गुलजार
उर्दू कवि और गीतकार गुलजार
Dr. Hussain Tabish|Updated: Feb 17, 2024, 06:38 PM IST
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Gulzar selected for Gyanpith Award 2023: मशहूर उर्दू कवि और गीतकार गुलजार (Gulzar) और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyanpith Award) से सम्मानित किया जाएगा. ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार को इस बात का ऐलान किया है कि गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य के नाम का चयन इस इस अवार्ड के लिए किया गया है.  सन 1944 में स्थापित भारतीय ज्ञानपीठ भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए हर साल प्रदान किया जाता है.  संस्कृत भाषा को दूसरी बार और उर्दू के लिए पांचवीं बार यह पुरस्कार दिया जा रहा है.  सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में विजेताओं को पुरस्कार के तौर पर 11 लाख रुपए की रकम और  वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है. 

गुलज़ार हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं और बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक माने जाते हैं. इससे पहले गुल्जार को उर्दू अदब और हिंदी फिल्मों में उनके योगदान के लिए 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिए जा चुके हैं. भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित होने वाले सम्पूर्ण सिंह कालरा (1934) 'गुलज़ार' नाम से मशहूर हैं. वह हिन्दी फिल्मों के गीतकार, कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक, नाटककार और शायर हैं. उनकी रचनाएं मुख्यत हिन्दी, उर्दू और पंजाबी में हैं.  साल 2009 में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' में गुलज़ार के लिखे गीत 'जय हो' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है.  इसी गीत के लिए उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.  

वहीं, चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक मशहूर हिंदू आध्यात्मिक नेता, शिक्षक और 100 से ज़यादा पुस्तकों के लेखक हैं. 1950 में जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के खांदीखुर्द गांव में जन्मे रामभद्राचार्य रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस ओहदे पर 1988 से बने हुए हैं. वे 22 भाषाएं बोलते हैं. वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली समेत कई भाषाओं के रचनाकार हैं. उन्होंने 240 से ज़यादा पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है.   2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है. 

 

 

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