trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02408425
Home >>Zee Salaam ख़बरें

Car Safety: किस तरह होती है कार की सेफ्टी टेस्ट, जानें पूरा प्रोसेस उसके बाद ही खरीदें अपनी कार!

देश में लगातार बढ़ते सड़क हादसे को देखते हुए भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) ने पिछले दिनो एक स्टिकर लांच किया, जिसके आधार पर गाड़ी की सेफ्टी टेस्ट के बाद उसे रेटिंग दी जाएगी, जिसे कोई भी इंसान आसानी से  QR Code स्कैन करके देख सकता है.   

Advertisement
Car Safety: किस तरह होती है कार की सेफ्टी टेस्ट, जानें पूरा प्रोसेस उसके बाद ही खरीदें अपनी कार!
MD Altaf Ali|Updated: Aug 31, 2024, 04:47 PM IST
Share

Car Safety Test: भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) ने 30 अगस्त को कारों की सेफ्टी के लिए एक सेफ्टी रेटिंग स्टिकर लॉन्च किया है. इसका मकसद लोगों को वाहन की सुरक्षा को लेकर जागरूक करना है. भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम भारत में कारों की सेफ्टी रेंटिग देने वाली एक एजेंसी है. सेफ्टी रेटिंग स्टिकर को कार के मॉडल का क्रैश टेस्ट करने के बाद उसे बेचने से पहले लगाया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इस स्टिकर में एक QR Code भी होगा, जिसे स्कैन करके खरीदने से पहले कोई भी ग्राहक उस कार की सेफ्टी रेटिंग और फीचर्स के बारे में जान सकेंगे. 

BNCAP अपने QR Code को उन सभी Automobile कंपनियों को देगी, जिनके कार का क्रैश टेस्ट सफलता पूर्वक पूरा हो चुका है. इस स्टिकर में कार के मैन्यूफैक्चरर, गाड़ी का मॉडल नंबर, क्रैश टेस्ट की डेट जैसे चीजें शामिल होंगी. जैसे ही कोई शख्स उस स्टिकर को स्कैन करेगा, गाड़ी की सारी डिटेल उस शख्स पर पास होगी.  

भारत में फिलहाल सिर्फ टाटा कंपनी की गाड़ियों को भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) ने क्रैश टेस्ट के आधार पर अपनी सेफ्टी रेटिंग जारी की है. टाटा कंपनी की टाटा सफारी, नेक्सन ईवी, पंच ईवी  और हैरियर को सेफ्टी रेटिंग दिया गया है. 

सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल अगस्त के महीने में BNCAP को लांच किया था, जिसके बाद 18 सितंबर, 2023 को केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान (CIRT) में कमांड और कंट्रोल सेंटर की पुणे के चाकन में शुरुआत की गई.  

कैसे होती है किसी कार की सेफ्टी टेस्ट:-
कार की सेफ्टी टेस्ट के लिए 4-5 डमी इंसान को कार में बैठाया जाता है. कार की पीछे वाली सीट पर बच्चों के डमी को बैठाया जाता है. इसके बाद कार की क्रैश टेस्ट कराई जाती है. टेस्ट के लिए गाड़ी को एक हार्ड ऑब्जेक्ट से टकराया जाता है. इसके बाद देखा जाता है कि कार को इस टक्कर से कितना नुकसान हुआ. कार को टेस्ट के लिए तीन तरीके से टक्कर कराई जाती है. 

सबसे पहले कार को सामने से यानी फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट से गुजरना पड़ता है. इसमें कार को 65 KMPL की स्पीड से बैरियर से टकराया जाता है. इस टेस्ट के बाद कार की साइड इम्पैक्ट टेस्ट की जाती है. इसमें कार की स्पीड 50 किमी प्रति घंटा रहती है. इन दोनों टेस्ट में पास होने के बाद कार को पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट से गुजारा जाता है. इसमें कार को सामने से किसी मजबूत पोल से टकराया जाता है. अगर कार पहले दोनों टेस्ट में 3 स्टार पाने में कामयाब हो जाती है, तभी उस कार का पोल टेस्ट किया जाता है. टेस्ट के बाद कार की स्थिति देखी जाती है, कि कार को कितना नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा ये भी देखा जाता है कि टक्कर के वक्त कार का एयरबैग सही वक्त पर खुला है या नहीं. जिसके बाद कार को सेफ्टी रेटिंग दिया जाता है. 

 

Read More
{}{}