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मरने के बाद भी रह जाते हैं मां-बाप के हक, इस्लाम ने बताया अदा करने का तरीका

Islamic Knowledge: मां-बाप के गुजर जाने के बाद भी उनके कुछ हक हैं, जो रह जाते हैं. इस्लाम के मुताबिक इन्हें उनके बच्चों को अदा करना चाहिए. आइए मां-बाप के हक के बारे में बताते हैं.

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मरने के बाद भी रह जाते हैं मां-बाप के हक, इस्लाम ने बताया अदा करने का तरीका
Siraj Mahi|Updated: Jan 27, 2024, 01:37 PM IST
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Islamic Knowledge: इस्लाम में मां-बाप का बड़ा रुतबा है. हर इंसान पर उसके मां-बाप के बड़े हक हैं, जिन्हें उसे अदा करना चाहिए. अपने मां-बाप की खिदमत और उनकी फरमाबरदारी से जन्नत मिलती है. मां-बाप की खिदमत से अल्लाह ताला खुश होता है और इंसान की तरक्की होती है. इस्लाम में मां-बाप का रुतबा इतना बड़ा है कि उनके गुजर जाने के बाद भी उनकी खिदमत के बारे में बताया गया है. 

गुनाहों की मगफिरत
इस्लाम कहता है कि जब आपके मां-बाप गुजर जाएं तो उनके हक अदा किया करो. उनके लिए अल्लाह से दुआ किया करो कि अल्लाह उनकी मगफिरत कर दे. अल्लाह उनके गुनाहों को बख्श दे. अल्लाह उन्हें जन्नत नसीब करे. चूंकि वह भी इंसान थे, इसलिए मुम्किन है कि उनसे भी गलतियां और कोताहियां हुईं हों.

दोस्तों से अच्छे सुलूक
इस्लाम कहता है कि जब आपके मां-बाप गुजर जाएं, तो उनके साथ जिनके ताल्लुकात थे या करीबी रिश्ते थे, उनसे बेहतर ताल्लुकात रखो. उनके साथ अच्छा सुलूक करो. इसके अलावा मां-बाप के दोस्तों और सहिलियों की इज्जत करो और उनकी खातिरदारी करो.

वसीयत पूरी करो
इस्लाम कहता है कि जब किसी के मां-बाप गुजर जाएं तो उस पर यह हक है कि उनकी वसीयत को पूरा करे. इसके अलावा अगर उन्होंने किसी से कर्ज लिया हो, तो उनके कर्ज को पूरा करें. इसके साथ ये भी कहा गया है कि जब मां-बाप गुजर जाएं तो उनकी कब्रों पर जाएं और उन्हें याद किया करें.

मरने के बाद मां-बाप की खिदमत
हजरत अबू उसैद रजि0 कहते हैं कि हम लोग अल्लाह के रसूल स0 के पास बैठे हुए थे कि इतने में कबीला बनू सलमा का एक शख्स आया. उसने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! मां-बाप की मौत हो जाने के बाद उनका कोई हक बाकी रहता है, जिसे मुझे अदा करना चाहिए? आप स0 ने फरमाया: हां, उनके लिए अल्लाह से दुआ करो कि वह उनकी मगफिरत करे और जो वसीयत वे कर गए हों उसे पूरा करो. मां-बाप से जिन लोगों का रिश्ता-नाता का ताल्लुक है, उनके साथ अच्छा सुलूक करो और मां-बाप के दोस्तों और सहेलियों की इज्जत और खातिरदारी करो. (हदीस: अबू दाऊद)

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