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यह है ईद का चांद देखने का इस्लामिक तरीका; इन लोगों के कहने से न मनाएं ईद

Eid Ka Chand: ईद का चांद देखने का इस्लामी तरीका है. उस तरीके को अपनाकर ही चांद देखें उसके बाद ईद मनाएं. इस्लाम में इस बारे में तफसील से बताया गया है.

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यह है ईद का चांद देखने का इस्लामिक तरीका; इन लोगों के कहने से न मनाएं ईद
Siraj Mahi|Updated: Apr 03, 2024, 12:52 PM IST
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Eid Ka Chand: इस्लामिक महीन चांद देखने से चलता है. रमजान के रोजे चांद देखकर रखे जाते हैं, ईद भी चांद देखकर मनाई जाती है. ऐसे में जरूरी है कि यह समझ लिया जाए कि चांद कैसे देखें. इस्लामिक तरीके से चांद देखने के मसले के बारे में मौलान अशरफ अली थानवी ने बताया है. पढ़े चांद देखने का तरीका.

1. अगर आसमान पर बादल है या गर्द है, इस वजह से रमजान का चांद नहीं दिखा, लेकिन एक दीनदार परहेजगार सच्चे आदमी ने आकर गवाही दी कि मैंने रमजान का चांद देखा है, तो चांद का सबूत हो गया, चाहे वह मर्द हो या औरत हो.

2. अगर बदली की वजह से ईद का चांद न दिखाई दिया, तो एक आदमी की गवाही का एतबार नहीं है, चाहे जितना बड़ा ऐतबार वाला आदमी हो, बल्कि दो ऐतबार वाले और परहेजगार मर्द या एक दीनदार मर्द और दो दीनदार औरतें अपने चांद की गवाही दें, तब चांद का सबूत होगा, वरना अगर चार औरतें अपने चांद देखने की गवाही दें, तो भी कुबूल नहीं है. 

3. जो आदमी दीन का पाबंद नहीं, बराबर गुनाह करता रहता है. जैसे- नमाज नहीं पढ़ता या रोजा नहीं रखता या झूठ बोला करता है या और कोई गुनाह करता है. शरीअत की पाबंदी नहीं करता, तो शरअ में उसकी बात का कुछ ऐतबार नहीं है. चाहे जितनी कस्में खाकर बयान करे, बल्कि ऐसे अगर दो तीन आदमी हों, उनका भी एतबार नहीं.

4. यह मशहूर बात है कि जिस दिन रजब की चौथी  होती है, उस दिन रमजान की पहली होती है. शरीअत में इसका कोई ऐतबार नहीं. अगर चांद न हो तो रोजा नहीं रखना चाहिए.

5. चांद देख कर यह कहना बहुत बड़ा गुनाह है कि कल का मालूम होता. यह बुरी बात है. हदीस में आता है कि यह कहना कयामत कि निशानी है, जब कयामत नजदीक होगी तो लोग ऐसा कहा करेंगे. खुलासा ये कि चांद के बड़े-छोटे होने का ऐतबार न करो. 

6. अगर आसमान बिलकुल साफ है तो दो-चार लोगों के कहने से भी चांद साबित न होगा. चांद रमजान का हो या ईद का. हां, अगर इतनी कसरत से लोग अपना चांद देखना बयान करें कि दिल गवाही देने लगे कि सबके सब बात बना कर नहीं आए, इतने लोगों का झूठा होना किसी तरह नहीं हो सकता, तब साबित होगा. शहर में यह खबर मशहूर है कि कल चांद हो गया. बहुत लोगों ने देखा, बहुत ढूंढा, खोजा, लेकिन फिर भी कोई ऐसा आदमी नहीं मिला, जिसने खुद चांद देखा हो, तो ऐसी खबर का कुछ ऐतबार नहीं है. 

7. किसी ने रमजान शरीफ का चांद अकेले देखा, अलावा उसके शहर भर में किसी ने नहीं देखा, लेकिन यह शरअ का पबंद नहीं है, तो उसकी गवाही से शहर वाले तो रोजा न रखें, लेकिन वह खुद रोजा रखे और अगर उस अकेले देखने वाले ने तीस रोजे पूरे कर लिए लेकिन अभी ईद का चांद नहीं दिखाई दिया, तो 31वां रोजा रखे और शहर वालों के साथ ईद करे. 

8 अगर किसी ने ईद का चांद अकेले देखा, इसलिए उसकी गवाही का शरीअत ने एतबार नहीं किया, तो इस देखने वाले आदमी को भी ईद करना दुरूस्त नहीं है. सुबह रोजा रखे और अपने चांद देखने का एतबार न करे और रोजा न तोड़े.

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