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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में सेना और दहशतगर्दों के बीच मुठभेड़, 1 पैरा कमांडो शहीद, 3 जख्मी

Kishtwar Encounter: जम्मू-कश्मीर के मुख्तलिफ जिलों में सुरक्षा बलों और दहशतगर्दों में आए दिन मुठभेड़ हो रहा है. जिसमें कई दहशतगर्द मारे गए हैं. जबकि कई जख्मी भी हुए हैं. इस बीच किश्तवाड़ मुठभेड़ जारी है.

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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में सेना और दहशतगर्दों के बीच मुठभेड़, 1 पैरा कमांडो शहीद, 3 जख्मी
Zee Salaam Web Desk|Updated: Nov 10, 2024, 06:36 PM IST
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Kishtwar Encounter: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में आज यानी 10 नवंबर को दहशतगर्दों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक पैरा कमांडो शहीद हो गया है. जबकि चार पैरा कमांडो जख्मी हो गए. जबकि एक पैरा ट्रुपर के जवान शहीर हो गया है. वहीं, श्रीनगर जिले में दहशतगर्दों की तलाश में अभियान जारी है. सेना के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि किश्तवाड़ के चास इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई गोलीबारी में चार पैरा कमांडो जख्मी हो गए.

सेना ने दहशतगर्दों को घेरा
एक अधिकारी ने कहा कि घायलों को अस्पताल भेजा गया है और दहशतगर्दों को पकड़ने के लिए इलाके को पूरी तरह से घेर लिया गया है. खबर लिखे जाने तक चास इलाके में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी था. श्रीनगर जिले के इशबर वन क्षेत्र में भी तलाशी अभियान जारी है, जहां सुबह-सुबह आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हुई. आतंकवादियों की संख्या दो से तीन के बीच बताई जा रही है.

सर्च ऑपरेशन जारी 
अधिकारियों ने बताया कि इशबर वन क्षेत्र से दो-तीन लोग हथियारों के साथ दिखे थे. इसके बाद वहां गोलीबारी शुरू हो गई. सुरक्षा बलों ने इलाके में दो स्थानीय ट्रैकरों को बचाया है. अधिकारी ने आगे कहा कि इशबर में दहशतगर्दों के साथ गोलीबारी के बाद वहां सर्च ऑपरेशन अभी जारी है.

इससे पहले मार गए थे इतने दहशतगर्द
इससे पहले शनिवार को बारामूला जिले के सोपोर के रामपोरा इलाके में मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया था. उससे एक दिन पहले, सोपोर शहर के सागिपोरा इलाके में सुरक्षा बलों के साथ एक और मुठभेड़ में दो विदेशी दहशतगर्द मारे गए थे.

जम्मू-कश्मीर का ये इलाका आतंवादियों का था गढ़
कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का गृहनगर और राजनीतिक गढ़ सोपोर कभी घाटी में अलगाववादी भावनाओं का केंद्र था. हालांकि, कानून-व्यवस्था में सुधार और सुरक्षा बलों के सक्रिय आतंकवाद विरोधी अभियानों के कारण, सोपोर न केवल पिछले कुछ सालों में सामान्य स्थिति में लौट आया है, बल्कि यहां राजनीतिक निष्ठा में भी बदलाव देखा गया है. 

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