trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02625923
Home >>Zee Salaam ख़बरें

जावेद अख्तर को 'इंग्लिश मीडियम' से इस बात से लगता है डर; हाथ से निकल जाएगा आपका बच्चा!

Javed Akhtar Perception to English Language: फिल्मकार जावेद अख्तर ने मौजूदा वक़्त में इंग्लिश भाषा की ज़रूरतों को बताते हुए इसे सीखने पर जोर दिया है, लेकिन इसके साथ ही बच्चों को अपनी मादरी जुबान सीखने और सीखाने की भी नसीहत दी है, वरना एक बड़े खतरे की तरफ आगाह किया है. 

Advertisement
फिल्मकार जावेद अख्तर
फिल्मकार जावेद अख्तर
Dr. Hussain Tabish|Updated: Jan 31, 2025, 10:02 PM IST
Share

Javed Akhtar in Jaipur Litrature Fest: जब भारत का मध्यम वर्ग अंग्रेजी शिक्षा पर जोर देने में लगा है, ऐसे वक़्त में मशहूर गीतकार और फिल्मकार जावेद अख्तर ने भाषाओं को लेकर लोगों को सलाह के साथ चेतावनी भी दी है.  जावेद अख्तर ने दुनिया में आईटी शोबे और विज्ञान के बढ़ते दबदबे के बीच अपने वजूद को बनाए रखने के लिए अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को जरूरी है बताया है, लेकिन इसके साथ ही चेतावनी दी है कि अंग्रेजी का ज्ञान अपनी मातृभाषा (मादरी जुबान) की कीमत पर नहीं होना चाहिए. जावेद अख्तर ने ये बातें 18वां जयपुर साहित्य महोत्सव के दौरान कही, जो तीन फरवरी तक चलेगा.  
 

जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) के दौरान एक सेशन में अपनी किताब 'ज्ञान सीपियां: पर्ल्स ऑफ विजडम' का विमोचन करते हुए जावेद अख्तर ने कहा, "अगर आप अपनी मादरी जुबान नहीं जानते, तो आप अपनी जड़ों से कट रहे हैं. जावेद अख्तर ने जोर देकर कहा, "अपनी मूल भाषा (मादरी जुबान) को छोड़कर बच्चे अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव खोने का जोखिम उठाते हैं. कोई भी जुबान सिर्फ संचार का जरिया नहीं है; बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और निरंतरता को आगे ले जाने वाला एजेंट है. अगर आप किसी बच्चे को उसकी मादरी जुबान से जुदा कर देते हैं, तो आप उसे उसकी संस्कृति, इतिहास और मूल्यों से अलग कर रहे होते हैं." 

जावेद अख्तर ने कहा, "आज भारत में अंग्रेजी मीडियम की तालीम लेने पर काफी जोर दिया जा रहा है. हम अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेजना चाहते हैं. यहां तक ​​कि निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों के बच्चे भी इसके लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. मैं अंग्रेजी के की अहमियत को नकार नहीं रहा हूं, लेकिन मेरा मानना ​​है कि कोई दीगर जुबान सीखना किसी की अपनी मादरी जुबान की कीमत पर नहीं होना चाहिए." 

जावेद अख्तर ने बहुभाषावाद (एक से ज्यादा भाषाएँ जानने) पर जोर दिया, जहां एक शख्स अपनी मादरी जुबान में जड़ों को जमाए रखते हुए अंग्रेजी में महारत हासिल कर लेता है. उन्होंने कहा, "आज की दुनिया में हम अंग्रेजी के बिना जिंदा नहीं रह सकते, खासकर आईटी सेक्टर में. लेकिन मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे बहुभाषी (Multylingual) बनें. वो अपनी भाषा के साथ-साथ दूसरों की जुबान भी सीखे. जब हम अपनी मादरी जुबान को छोड़ देते हैं, तो हम अपनी जड़ों से अपना संबंध खो देते हैं."

Read More
{}{}