रांची: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान मंत्री इरफान अंसारी एक योग शिक्षिका राफिया नाज को लेकर की गई टिप्पणी में बुरी तरह फंस गए हैं. अंसारी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. रांची के एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने योग ट्रेनर राफिया नाज की तरफ से दर्ज कराई गयी शिकायत पर संज्ञान लेकर इस मामले में अंसारी को कोर्ट समन भेजा है.
यह शिकायत लगभग 4 साल पहले 19 अगस्त, 2020 को दर्ज हुआ था. बाद में राफिया नाज ने अदालत में शपथ पत्र के जरिए इस मामले में अपना बयान दर्ज कराया था.
राफिया नाज रांची के डोरंडा की रहने वाली हैं. वो प्रधानमंत्री मोदी की समर्थक हैं. 2021 में उन्होंने औपचारिक तौर पर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी.
क्या है शिकायत में ?
अपनी शिकायत में राफिया नाज़ ने इरफ़ान अंसारी पर स्त्री लज्जा भंग करने, भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने, धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और जानबूझकर अपमानित करने का इल्ज़ाम लगाया गया है. राफिया का इल्ज़ाम है कि जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने एक निजी न्यूज चैनल पर उनके पहनावे पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस टिप्पणी से उनकी छवि खराब हुई है. राफिया की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाते हुए इरफ़ान अंसारी ने जानबूझकर उन्हें अपमानित किया था.
पहले से मुकदमा झेल रहे हैं इरफ़ान अंसारी
गौरतलब है कि झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी एक छेड़छाड़ की पीड़ित बच्ची की तस्वीर वायरल करने से संबंधित एक दूसरे केस में भी कानूनी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. इरफान अंसारी साल 2018 में पीड़ित बच्ची से मिलने हॉस्पिटल गए थे. बच्ची से मुलाकात की तस्वीर वायरल होने से पीड़ित लड़की की पहचान उजागर हो गई थी. इल्ज़ाम लगा कि यह तस्वीर इरफान अंसारी के मोबाइल से वायरल हुई थी. इसे लेकर बाद में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में पिछले साल एक निचली अदालत ने संज्ञान लिया था. एमपी-एमएलए कोर्ट में उनके खिलाफ ट्रायल भी चल रहा है. इरफान अंसारी ने ट्रायल रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सितंबर 2024 में उनकी याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद इरफान सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे थे, लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली थी.
बड़बोले नेता हैं इरफ़ान अंसारी
इरफ़ान अंसारी एक बड़बोले नेता हैं. वो अक्सर विरोधी दलों के नेताओं को लकर तल्ख़ टिप्पणी करते रहते हैं, और ऐसा करके वह खुद फंस जाते हैं. अभी हाल ही में उर्दू को कठमुल्लों की जबान बताये जाने पर इरफ़ान अंसारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पागल करार देते हुए उन्हें रांची के पागलखाने में भर्ती कराने की सलाह दी थी.
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