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किसान नेता पंधेर ने केन्द्र से की मांग; MSP को कानूनी गारंटी देने के लिए लाएं अध्यादेश

Kisan Andolan: किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं. वह दिल्ली आने के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार उन्हें रोकने के लिए हर मुंम्किन कोशिश कर रही है. ऐसे में किसान ने मांग की है कि MSP पर अध्यादेश लागू किया जाए.

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किसान नेता पंधेर ने केन्द्र से की मांग; MSP को कानूनी गारंटी देने के लिए लाएं अध्यादेश
Siraj Mahi|Updated: Feb 17, 2024, 01:43 PM IST
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Kisan Andolan: किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लाए. किसान अपनी दीगर मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शंभू तथा खनौरी में डटे हुए हैं और एमएसपी की कानूनी गारंटी दिया जाना उनकी अहम मांग है. किसान नेता पंधेर का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब किसान नेता और केन्द्रीय मंत्रियों के बीच कल रविवार को चौथे दौर की वार्ता होनी है. 

रातोंरात ला सकती है अध्यादेश
पंधेर ने शंभू सीमा पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर केन्द्र सरकार चाहे तो वह रातों रात अध्यादेश ला सकती है. अगर सरकार किसानों के आंदोलन का कोई समाधान चाहती है तो उसे यह अध्यादेश लाना चाहिए कि वह MSP पर कानून लागू करेगी, तब बातचीत आगे बढ़ सकती है.’’ पंधेर ने कहा कि जहां तक तौर तरीकों की बात है तो कोई भी अध्यादेश छह माह तक वैध होता है. 

माफ हो कर्ज
कृषि ऋण माफी के मुद्दे पर पंधेर ने कहा कि सरकार कह रही है कि ऋण राशि का आकलन करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इस ताल्लुक से बैंकों से आंकड़े जमा कर सकती है. यह इच्छाशक्ति की बात है.’’ केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित किसान संघों की दीगर मांगों पर जारी बातचीत में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

ये हैं मांगें
किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच बृहस्पतिवार रात करीब 8:45 बजे बैठक शुरू हुई और पांच घंटे तक जारी रही, लेकिन इसमें दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बनी. दोनों पक्षों के बीच अब चौथे दौर की वार्ता 18 फरवरी को होगी. इससे पहले आठ और 12 फरवरी को बातचीत हुई थी जो बेनतीजा रही. एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन तथा कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय", भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं.

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