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Maharashtra: शाकिर, जावेद और अराफात को कोर्ट ने किया बरी, लगा था संगीन इल्जाम

Maharashtra: ठाणे में जबरन वसूली की कोशिश और हत्या की साजिश रचने के तीनो आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए सबूतो में आरोपियों की पहचान स्पष्ट नहीं हो पा रही हैं.  

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Maharashtra: शाकिर, जावेद और अराफात को कोर्ट ने किया बरी, लगा था संगीन इल्जाम
Zee Salaam Web Desk|Updated: Mar 11, 2025, 02:28 PM IST
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Maharashtra: महाराष्ट के ठाणे इलाके की एक कोर्ट ने व्यक्ति से जबरन वसूली और उसकी कत्ल की साजिश करने के मामले में आरोपित तीन लोगों को पूरे सबूतों के होने के बावजूद भी बरी कर दिया है. प्रधान जिला और जज एस. बी. अग्रवाल ने 4 मार्च को दिए गए आदेश में कहा,  "केस दर्ज करने वाला पक्ष लगाए गए इल्जा़म को सही साबित करने में नाकाम रहा है. कोर्ट के आदेश की लिखित कॉपी सोमवार को दस्तेयाब कराई गई है. 

अभियोजन पक्ष ने इल्जाम लगाया था कि 5 दिसंबर 2021 से 20 मार्च 2022 के बीच मुलजिमों ने ठाणे जिले के मीरा रोड के शांति नगर इलाके में रहने वाले एक शख्स से 25 लाख रुपये की रंगदारी मांगने की साजिश रची थी.  पैसे न देने पर व्यक्ति को नतीजे भुगतने की भी धमकी दी. 

दो पिस्तौल और कारतूस किए हासिल 
आरोपियों ने उस व्यक्ति की सभी गतिविधियों पर नजर रखी हूई थी. उसके  निवास स्थान, कार्यालय और वाहन की जानकारी एक्ट्टा की थी, जिसके बाद उसने इन सभी जानकारियों को अपने दोस्त को व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा. उन्होंने साजिश के तहत दो पिस्तौल और कारतूस भी हासिल किए.  अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने जबरन वसूली के मामले में समय रहते कार्रवाई कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. वही मुकदमे के दौरान कोर्ट ने अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए सभी सबूतो को अपर्याप्त पाया है. 

सबूतो से मुल्जिमों की पहचान करना मुश्किल
कोर्ट ने कहा , "फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह साबित नहीं हुआ है कि आरोपी अपराध में शामिल थे. सबूत के तौर पर दिए गए वीडियो फुटेज और फोटोग्राफ में उसकी पहचान स्पष्ट नहीं थी और यह भी साबित नहीं हुआ कि उन्होंने स्वयं शिकायतकर्ता से संपर्क किया था. अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि जब्त किए गए दस्तावेज, सिम कार्ड और यूएसबी ड्राइव आरोपियों के थे या अपराध में उपयोग किए गए थे.

इसके बाद अदालत ने तीनो अपराधियों मोहम्मद अराफात उर्फ गुड्डू, शाकिर उमरुद्दीन मंसूरी और जावेद उमरुद्दीन मंसूरी (40) को सभी लगाए गए सभी इल्जामों से बरी कर दिया.

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