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क्या विग लगाने से नहीं होता है वजू और नमाज़; मौलाना ने नकली बाल पर दे दिया फतवा!

Islamic Scholar Fatwa on artificial hair: आज के दौर में हेयर फॉल की समस्या गहराती जा रही है. इसे झूझ रहे लोगों में से बड़ी तादाद विग पहनते है (नकली बाल ).  अब विग पहने को लेकर एक मौलाना ने वीडियो जारी करके बयान दिया है, जिसमें पूरे फतवा का जिक्र करते हुए इस्लामिक नजरिए से इसे अनुचित बताया है. पूरी जानकारी के लिए नीचे स्क्रॉल करें.    

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क्या विग लगाने से नहीं होता है वजू और नमाज़; मौलाना ने नकली बाल पर दे दिया फतवा!
Zee Salaam Web Desk|Updated: May 30, 2025, 10:39 PM IST
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Islamic Scholar Fatwa on Artificial Hair: मुसलमानों के (विग) नकली बाल लगाने को लेकर एक देवबंदी मौलाना ने बड़ी बात कह दी है. उनका कहना है कि विग लगाने से वजू और नमाज पूरी तरह कबूल नहीं होता है. उन्होंने एक वीडियो की मदद से बयान जारी करके मुसलमानों के विग लगाने से वजू और नमाज  अदा करने करना कितना सही होगा इस बात की जानकारी दी है. साथ ही उन्होंने अपने बयान में इस मामले से जुड़े फतवा का भी हवाला दिया है. 

आज के दौर में हेयर फॉल की समस्या से अनगिनत लोग झूझ रहे हैं. इसलिए कई लोग विग पहनना शुरू कर देते हैं. अब इस मामले पर देवबंदी उलेमा और दवातुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक गोरा ने मुसलमानों को विग पहनकर नमाज पढ़ने से जुड़े मसले पर सुझाव दिया है, क्योंकि इससे वजू और नमाज मुकमल तरीके से नहीं हो पाता है. उन्होंने कहा कि लोगों का यह सवाल होता है कि क्या विग लगाकर नमाज पढ़ा जा सकता है? इसस सवाल के जवाब में मौलाना गोरा ने दारुल उलूम देवबंद के एक फ़तवे का हवाला देते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति विग या नकली दाढ़ी लगाकर नमाज़ अदा करता है, तो ऐसी नमाज़ अधूरी मानी जाएगी, क्योंकि इससे वज़ू और ग़ुस्ल की शरई शर्तें  पूरी नहीं हो पातीं.

उन्होंने कहा कि इस्लाम में वज़ू (नमाज़ से पहले शारीरिक शुद्धता के लिए हाथ, मुंह, सिर व पाँव धोना) और ग़ुस्ल (पूरे शरीर की पाकीज़गी) का बड़ा अहम मुक़ाम है, लेकिन जब सिर पर कृत्रिम बालों की टोपी (विग) चढ़ी हो, तो पानी बालों के आर-पार होकर त्वचा तक नहीं पहुँच पाता. नतीजतन, वुज़ू और ग़ुस्ल का मूल उद्देश्य ही पूरा नहीं होता और जिस्म पाक नहीं माना जाता. जब जिस्म पाक नहीं होगा तो नमाज भी कबूल नहीं होगा.
 
इस्लाम के खिलाफ नहीं है हेयर ट्रांसप्लांट !
इस दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विग और हेयर ट्रांसप्लांट दो अलग-अलग चीज़ें हैं। दारुल उलूम देवबंद ने अपने फ़तवे में हेयर ट्रांसप्लांट को शरीयत के खिलाफ नहीं बताया है, बशर्ते यह हिला (धोखा) न हो और न ही किसी गैर-इस्लामी तर्ज़ पर किया गया हो.
मौलाना गोरा ने कहा कि आज की बदली हुई जीवनशैली ने मुसलमानों, विशेषकर नौजवानों में नई-नई आदतें पैदा की हैं. ऐसे में दीन और शरीयत से जुड़ी बुनियादी बातों को समझना और उन पर अमल करना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है.
उन्होंने अंत में यह ताकीद की कि मुसलमानों को दिखावे और बनावट के बजाय सादगी, पाकीज़गी और ईमानदारी को अपनाना चाहिए.

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