Uttar Pardesh News: वैसै तो रोजाना ही सोशल मीडिया पर एक नया वीडियों वायरल होता रहता है. जो कि बाद में लोगों के लिए हसी मजाक का जरिए बन जाता है. ऐसा ही एक वीडियों उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का भी वायरल हो रहा है.
इस वीडियों में इस्लाम से जुड़े वजीफों के बारें में बताया जा रहा हैं. वीडियों में एक शख्स बिजली का बिल कम करने के वजीफों के बारे में बता रहा है, जिसपर देवबंदी उलेमा मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने नाराजगी जाहिर की है.
जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरपरस्चत| संरक्षक और मशहूर देवबंदी उलेमा मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने सोशल मीडिया पर फैल रहे ग़लत वज़ीफ़ों और अंधविश्वास पर कड़ी नाराज़गी जताई है. उन्होंने कहा, "हाल ही में एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक शख्स दावा कर रहा है कि अगर कोई अपने बिजली के मीटर पर सीधे हाथ की पहली उंगली से "ज़मज़म" लिख देगे, तो उसका बिजली का बिल कम आ जाएगा." मौलाना गोरा ने इस तरह के झूठे दावों को बेबुनियाद, ग़लत और इस्लाम का मज़ाक़ उड़ाने वाला बताया है.
इस्लाम दीन और दुनिया बेहतर करने का रास्ता दिखाता
नाराजगी जाहिर करने के साथ-साथ मौलाना ने इस्लाम के तरीकों और तलीमों के बारें में भी बताया है. जिसपर मौलाना गोरा ने कहा, "इस्लाम की बुनियाद मेहनत, सच्चाई और अल्लाह पर तवक्कुल करने पर है. यह हमें दुनिया और आख़िरत की भलाई के लिए सही रास्ता दिखाता है. लेकिन अफ़सोस की बात है कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर "दीनदार" बनने की शक्ल में लोगों को गुमराह कर रहे हैं. इस्लाम किसी भी बेबुनियाद अमल से फ़ायदा हासिल करने की तालीम नहीं देता. अगर इस तरह बिजली का बिल कम किया जा सकता, तो पूरी दुनिया में कोई भी बिजली का भुगतान न करता और बिजली कंपनियाँ बंद हो जातीं.
इल्म ज़रूरी है
इसके साथ ही मौलाना ने इस्लाम के हवाले से सही नसीहते भी की है. उन्होंने कहा, "मुसलमानों को चाहिए कि वे अल्लाह से रोज़ी और बरकत के लिए दुआ करें, मेहनत करें और शरीयत के बताए हुए रास्ते पर चलें, न कि इस तरह की मनगढ़ंत बातों पर भरोसा करें. दीन को समझने के लिए सही इल्म ज़रूरी है, न कि हर सुनी-सुनाई बात को मान लेना."
आँख बंद करके बात न मानें
मौलाना गोरा ने मुसलमानों को खबरदार भी किया कि आज के दौर में सोशल मीडिया पर हर तरह के लोग मौजूद हैं. कुछ लोग मज़हबी लिबास पहनकर, "अल्हम्दुलिल्लाह" और "माशा अल्लाह" जैसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल कर लोगों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. ऐसे लोगों का मक़सद सिर्फ़ शोहरत और पैसा कमाना होता है, न कि दीन की सही रहनुमाई करना.
उन्होंने कहा, "मुसलमानों को चाहिए कि वे सिर्फ़ उन्हीं उलमा की बातें सुनें और मानें जो कुरआन और हदीस के हवाले से बात करते हैं. हर बात को आँख बंद करके मान लेना और बिना तस्दीक़ के उसे आगे फैलाना भी ग़लत है."
बरकत का ताल्लुक़, अल्लाह की रहमत से
इसके साथ ही मौलाना गोरा ने यह भी कहा, "मुश्किलों से निकलने का सही तरीक़ा यह है कि इंसान अपने आमाल को सुधारें, अल्लाह की बंदगी करें, सच्चे दिल से दुआ करें और शरीयत के अहकाम पर अमल करें. रोज़ी-रोटी और बरकत का ताल्लुक़ इंसान के सही आमाल और अल्लाह की रहमत से है, न कि किसी मनगढ़ंत वज़ीफ़े से है."
दीन की सही समझ हासिल करें
मौलाना गोरा ने कहा, "इस तरह के ग़लत वज़ीफ़े और झूठे दावे दीन की सही तालीमात को नुक़सान पहुँचाते हैं. मुसलमानों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया पर फैलने वाली हर बात को आँख बंद करके न मानें और सही इस्लामी इल्म को अपनाए. दीन की सही समझ हासिल करने के लिए क़ुरआन, हदीस और मुस्तनद उलमा की रहनुमाई ही सबसे बेहतर ज़रिया है.