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NDA सरकार बनते ही फूफा की तरह नाराज़ हुए सहयोगी दल, कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर जताया आक्रोश!

Shivsena on Modi 3.0 Cabinet: नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री की जगह नहीं मिलने से अजित पवार गुट की एनसीपी नाराज था. अब एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना की भी नाराजगी सामने आई है. 

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NDA सरकार बनते ही फूफा की तरह नाराज़ हुए सहयोगी दल, कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर जताया आक्रोश!
Tauseef Alam|Updated: Jun 10, 2024, 07:20 PM IST
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Shivsena on Modi 3.0 Cabinet: नरेंद्र मोदी ने 9 जून को तीसरी बार पीएम पद की शपथ ली है. इसके साथ ही 72 मंत्रियों ने भी शपथ ली. वहीं, पीएम मोदी की अगुआई वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री की जगह नहीं मिलने से अजित पवार गुट की एनसीपी नाराज था. अब एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना की भी नाराजगी सामने आई है. शिवसेना के चीफ व्हीप श्रीरंग बारणे ने कहा, "एक तरफ जहां, जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और एचडी कुमारस्वामी की पार्टी को कम सीट मिलने के बावजूद कैबिनेट मंत्रालय दिया गया है, वहां उनकी पार्टी के 7 सांसद होने के बाद भी सिर्फ स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री का ही पद दिया गया."

शिवसेना ने जाहिर की अपनी नाराजगी
उन्होंने कहा, "हम मोदी सरकार में कैबिनेट में जगह की उम्मीद कर रहे थे. चिराग पासवान के 5 सांसद हैं, हम पार्टी के चीफ जीतन राम मांझी सिर्फ एकलौते सांसद हैं, जेडीएस के 2 सांसद हैं, फिर भी उन्हें एक कैबिनेट मंत्रालय मिला है, लेकिन 7 लोकसभा सीटें मिलने के बावजूद शिवसेना को सिर्फ एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिया गया.? हमारी पार्टी के स्ट्राइक रेट को देखते हुए हमें कैबिनेट मंत्री पद दिया जाना चाहिए था." यह बात कहते हुए शिवसेना ने अपनी नाराजगी जाहिर की है.

अजित पवार गुट को भी मिलना चाहिए कैबिनेट मंत्री का पद
श्रीरंग बारणे ने आगे कहा, "NDA के दूसरे घटक दलों के 1-1 सांसद चुने गए हैं, लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद दिया है, तो फिर भाजपा ने शिंदे गुट के प्रति इतना अलग रुख क्यों अपनाया है? अगर ऐसा होता है, तो परिवार के खिलाफ आकर एनडीए में शामिल हुए अजित पवार को मंत्री पद दिया जाना चाहिए था. साथ ही भाजपा को सतारा सांसद उदयनराजे भोसले को यह मंत्री पद देना चाहिए था."

ऐसे होगा तो गिर जाएगी सरकार
इसके साथ ही देश में प्रेशर पॉलिटिक्स की शुरुआत हो चुकी है. एक तरफ बीजेपी के 2 सहयोगी दल कैबिनेट पद नहीं मिलने से नाराज हैं. वहीं, दूसरी तरफ टीडीपी भी बीजेपी पर दबाव बना रही है. जराए ने दावा किया है कि टीडीपी लोकसभा स्पीकर की मांग की है. लेकिन बीजेपी टीडीपी को स्पीकर पद देने को राजी नहीं है. वह स्पीकर पद अपने पास रखना चाहती है. जब अल्पमत की सरकार होती है., तो ऐसे हालात में लोकसभा में स्पीकर की काफी महत्वपूर्ण भूमिका हो जाती है. अगर ऐसा होता है, तो शिवसेना के सात सांसद है और टीडीपी के 16 सांसद है. अगर दोनों बीजेपी से नाता तोड़ देते हैं तो सरकार गिर सकती है. क्योंकि एनडीए को 292 सीटें मिली है. अगर दोनों अपना समर्थन वापस ले लेंगे, तो एनडीए को सिर्फ 269 सांसद बचेंगे, जबकि बहुमत के लिए 272 सांसदों की जरूरत है.

बीजेपी के साथ इन दलों ने मिलकर लड़ा था चुनाव
आम चुनाव 2024 में महाराष्ट्र में भाजपा ने शिंदे गुट वाली शिवसेना और अजित गुट की एनसीपी के साथ इलेक्शन लड़ा था. राज्य में बीजेपी 23 सीटों पर इलेक्शन लड़ी थी, जबकि शिवसेना 19 सीट और एनसीपी सिर्फ 7 सीटों पर चुनाव लड़ा. जिसमें बीजेपी 9 सीटें जीती, शिवसेना 7 और एनसीपी 1 सीट जीतने में कामयाब हुई थी.

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