Narkatiaganj Assembly Election 2025: बिहार के पश्चिमी चंपारण में एक विधानसभा सीट है, जहां मुसलमानों की आबादी बहुत ज़्यादा है, लेकिन हर बार बीजेपी जीतती है. हम बात कर रहे हैं नरकटियागंज विधानसभा सीट की. यह सीट राजनीति के लिहाज़ से काफ़ी चर्चा में है. यह इसलिए चर्चा में है क्योंकि यहां की मौजूदा विधायक रश्मि वर्मा हैं और उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी से बगावत कर दी है, जिसके चलते उनका टिकट कटने की संभावना है. इस सीट के इतिहास और राजनीति पर गहराई से नज़र डालें तो पता चलता है कि इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं का अहम योगदान रहा है. इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता लगभग 30 फीसद हैं, जो चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
नरकटियागंज विधानसभा में लगभग 2,79,043 वोटर्स हैं. इनमें से लगभग 80,000 से 85,000 मुस्लिम मतदाता हैं, जो कुल मतदाताओं का 30 फीसद से भी अधिक है. साल 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की रश्मि वर्मा ने कांग्रेस के विनय वर्मा को 21,134 मतों से हराया. रश्मि वर्मा को 75,484 (45.85%) वोट मिले, जबकि विनय वर्मा को 54,350 (33.02%) वोट मिले. मुस्लिम वोट भी बीजेपी के पक्ष में आए, लेकिन बीजेपी की जीत में मुख्य योगदान भाजपा से जुड़े सवर्ण मतदाताओं का रहा. हालांकि, इस चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का भी प्रभाव रहा और इसका असर साफ़ देखा गया.
NDA बनाम महागठबंधन
नरकटियागंज में 2024 के लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी और एनडीए का वोट फीसद कम हो गया और बढ़त घटकर मात्र 7,035 वोट रह गई, जो 2020 की तुलना में काफी कम है. इससे आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका और उनके वोटिंग पैटर्न में बदलाव चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है. नरकटियागंज में मुस्लिम मतदाता एक अहम वोट बैंक बनकर उभरे हैं. इस सीट पर मुस्लिम समुदाय का बड़ा प्रभाव है और यही वजह है कि यहां के चुनाव नतीजों में मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं.
महागठबंधन की हो सकती है जीत
नरकटियागंज में मुस्लिम मतदाताओं की एकजुटता किसी भी पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं के वोटों का ध्रुवीकरण चुनावी समीकरण बदल सकता है, जैसा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था, जहां मुस्लिम मतदाता कांग्रेस से भाजपा की ओर मुड़ गए थे. वहीं, 2025 के विधानसभा चुनाव में अगर मुस्लिम वोट एकजुट हो जाते हैं तो चुनावी नतीजों पर असर पड़ सकता है. बीजेपी और एनडीए की मज़बूत स्थिति के बावजूद, मुस्लिम मतदाताओं के वोटों की एकता विपक्षी दलों को फ़ायदा पहुंचा सकती है.