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मदरसों के पीछे पड़ा बाल आयोग; तालाबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ये संगठन


Uttarakhand News:उत्तराखंड में मदरसों के खिलाफ वैधता से जुड़ी जांच मुहिम चल ही रही थी, इस बीच 110 से ज्यादा मदरसों को कथित तौर पर गैर कानूनी बताते हुए सील भी कर दिया गया है. लेकिन प्रशासन के तरफ से अब एनसीपीसीर की नई रिपोर्ट को बेस बनाकर एक बार फिर से कार्रवाई शुरू कर दी गई है. पूरी खबर जानने के लिए नीच स्क्रॉल करें.

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मदरसों के पीछे पड़ा बाल आयोग; तालाबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ये संगठन
Zee Salaam Web Desk|Updated: Mar 24, 2025, 05:08 PM IST
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Uttarakhand News: उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों से मदरसों को कथित तौर पर अवैध बता कर प्रशासन द्वारा सील किए जाने का ट्रेंड चल रहा था, इसी बीच अब उत्तराखंड प्रशासन ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक रिपोर्ट का हवाला देकर मदरसों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. वहीं, प्राशसन की इस कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा हिंद ने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर मंगलवार 25 मार्च को सुनवाई हो सकती है. बता दें, कि NCPCR ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि कई मदरसों में बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है, यानी मदरसों में बच्चों को उच्चित शिक्षा नहीं दी जा रही है. 

एनसीपीसीआर ने मदरसों के खिलाफ कही ये बात
NCPCR की इस रिपोर्ट के बाद उत्तराखंड प्रशासन मदरसों की जांच और गहनता से और कई ऐंगल से कर रही है. वहीं, जमीयत का मानना है कि यह सब मदरसों को बंद करने का बहाना है. इसलिए जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट-खटाया है. बता दें कि NCPCR ने अपनी रिपोर्ट जारी करने के साथ केन्द्र और राज्यों को निर्देश दिया था कि कथित रूप से शिक्षा का अधिकार ऐक्ट के खिलाफ काम करने वाले तमाम मदरसों को सील कर दिया जाए.  इस मामले में बच्चों के अधिकार से जुड़ी राष्ट्रीय आयोग ने अदालत में एक हलफनामा भी दाखिल किया था, जिसमें कथित तौर पर कहा गया था कि मदरसों में बच्चों को अच्छी तालीम नहीं दी जा रही है और यह बच्चों के हुकूक के खिलाफ है. यह भी कहा गया था कि मदरसों में बच्चों को न सिर्फ उचित शिक्षा बल्कि स्वस्थ माहौल और विकास के अच्छे अवसर से भी दूर रखा जा रहा है.

मदरसे बच्चें को इस्लामिक शिक्षा देने के लिए बनाए गए हैं: जमीयत
गौरतलब है कि जमीयत उलेमा ए हिंद के सदर अरशद मदनी के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट में मदरसों के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में एक याचिका दाखिल किया गाया है. जमीयत का कहना है कि मदरसा खास तौर पर मुस्लिम बच्चों को सिर्फ इस्लामिक शिक्षा देने के लिए चला जाता है. जमीयत का दावा है कि मुसलमानों को लगातार डराया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिला याचिका में कहा गया है कि मुसलमानों के मदरसे और मकतब, जो कि पूरी तरह गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक तालीमी इदारे हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि मुसलमान अपने मजहबी और तालीमी इदारें को बिना किसी रोक-टोक के चला रहे थे, लेकिन अचानक इस साल के शुरूआत से प्रशासन की टीम हमारे मदरसों में आती है, और कहती है कि इस मदरसे को बंद करना होगा.

जमीयत ने अदालत से की ये गुजारिश
इस याचिका में अदालत से यह गुजारिश किया गया है कि भारतीय संविधान की धाराओं और सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्तूबर 2024 के ऑर्डर की रोशनी में इन मकतबों और मदरसों को फिर से खोलने की इजाजत प्रशासन को तुरंत दे दिया जाए, और प्रशासन को यह निर्देश दिया जाए की वह मदरसों के संचालन में बिना वजह हस्तक्षेप न करें.

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