NHRC on Professor Mahmudabad case: अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्णी मामले में अंतरिम जमानत मिल गई है. लेकिन इस मामले में NHRC ने स्वत: संज्ञान लेते हुए हरियाणा के डीजीपी को नोटिस भेज कर एक हफ्ते में प्रोफेसर की गिरफ्तारी पर ज्वाब मांगा है. साथ ही आयोग ने कहा है कि अली खान की गिरफ्तारी उनकी स्वतंत्रता और मानवअधिकार का उल्लंघन है.
दरअसल, गुजिश्ता 18 मई को हरियाना पुलिस द्वारा एक एफआईआर के आधार पर प्रोफेसर अली खान को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 21 मई को कुछ शर्तों के साथ उन्हें अंतरिम जमानत दे दिया है. वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए हरियाना के डीजीफी को नोटिस भेजकर एक हफ्ता के अंतर विस्तृत रिपोर्ट मांगा है. साथ आयोग ने कहा है कि मामले को प्रथम दृष्टया देखने पर मालूम होता है कि प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी उनेक मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन है.
इन शर्तों के साथ अली खान को मली है..
बता दें कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस सूर्यकांत और कोटिश्वर सिंह की पीठ कर रही है. पीछ ने आज प्रोफेसर को अंतरिम जमानत देते हुए निर्देश दिया है कि वह ऑपरेशन सिंदूर पर वह फिलहाल न तो कोई भाषण देंगे न ही वह कोई लेख या पोस्ट लिखेंगे. साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि अली खान को सीएम सोनीपत को बॉन्ड के तौर पर जमानत राशी जमा कराने होंगे. कोर्ट ने अली खान को यह भी निर्देश दिया है कि वह फिलहाल ऑपरेशन सिंदूर पर कोई कमेंट नहीं करेंगे. साथ ही प्रोफेसर को अपने पासपोर्ट कार्ड भी जमा करने होंगे.
बीजेपी के इस नेता के शिकायत के बाद अली खान को किया गया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर और इस अभियान की सफलता पर प्रेस ब्रिफिंग करने वाली कर्नल सोफिय कुरैशी पर टिप्णी करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, जिसके बाद उनपर हरियाना में हरियाणा बीजेपी युवा मोर्चा के नेता और जठेरी गांव के सरपंच ने एक एफआईआर दर्ज कराया था. साथ हरियाणा महिला आयोग ने भी इस मामले पर प्रोफेसर के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया था. प्रोफसर पर एफआईआर के बाद उन्हें हरियाना के सोनिपत के राय थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर ली थी.
प्रफेसर ने कर्नल सोफिया के लिए कही थी ये बात
अली खान महमूदाबाद ने 8 मई को अपने सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर के लेकर एक पोस्ट लिखा था, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के बाद कथित दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी से सवाल पुछा गया था कि काश ये लोग भारत में मुसलमानों के मॉब लिंचिंग बीजेपी सरकार की नफरती राजनीति और बुलडोजर कार्रवाई पर इसी तरह सवाल उठाते. साथ ही उन्होंने लिखा था कि मुहिलाओं द्वारा इस ऑपरेशन की सफलता का ऐलान करवाना तो सही और प्रतीकात्मकता है, लेकिन अगर यह प्रतीकात्मकता जमीनी हकीकत में नहीं बदलती, तो यह सिर्फ पाखंड है.