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Uttarkashi: बादल फटने के बाद से नहीं मिला सलमान और फुरकान का सुराग, तरस रही मां की आंखें

Uttarakhand News: उत्तरकाशी के धराली इलाके में हाल ही में बादल फटने की घटना हुई थी. इस घटना में कई लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में उत्तर प्रदेश के संभल जिले के दो लोग लापता हो गए. अभी तक दोनों का सुराग नहीं मिला है.

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Uttarkashi: बादल फटने के बाद से नहीं मिला सलमान और फुरकान का सुराग, तरस रही मां की आंखें
Zee Salaam Web Desk|Updated: Aug 09, 2025, 06:06 PM IST
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Uttarakhand News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली इलाके में हाल ही में बादल फटने की घटना हुई. इस घटना में कई लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में उत्तर प्रदेश के संभल जिले के दो लोग लापता हो गए. ये दोनों नौजवान मजदूरी के सिलसिले में उत्तराखंड गए थे और वहां एक होटल में वेल्डिंग का काम कर रहे थे. दोनों युवक की पहचान सलमान और फुरकान के रूप में हुई है.  दोनों संभल के थाना नखासा क्षेत्र के गांव रुकनुद्दीन सराय के रहने वाले हैं.

परिवार के मुताबिक, गांव के 3 युवक वेल्डिंग का काम करने उत्तराखंड के धराली इलाके में गए थे. इनमें से 18 साल का सलमान और फुरकान अभी भी लापता हैं. जबकि एक शख्स का पता लग चुका है और वह सुरक्षित है. परिवार का कहना है कि सलमान ने आखिरी बार 3 अगस्त को अपने परिवार से फोन पर बात की थी. उसके बाद से उसका फोन बंद है और उसका कोई पता नहीं चल पा रहा है.

सलमान के पिता ने क्या कहा?
सलमान के पिता मोहम्मद आरिफ ने बताया, "उनका बेटा डेढ़ महीने पहले वेल्डिंग का काम करने उत्तराखंड गया था. घटना वाले दिन वह पहाड़ी पर काम कर रहा था, लेकिन खाने का सामान लेने नीचे उतर आया. तभी अचानक पहाड़ी से खतरे की चेतावनी की आवाज आने लगी और देखते ही देखते इलाके में बादल फट गया. इस आपदा में सलमान और फुरकान समेत कई लोगों के लापता होने की खबर है."

घटनास्थल रवाना हुए परिवार वाले
परिवार ने लापता युवकों की तलाश के लिए स्थानीय थाने में एक लिखित आवेदन भी दिया है. उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द अपने बेटों की तलाश के लिए मदद की गुहार लगाई है. इस घटना के बाद गांव में गम और चिंता का माहौल है. परिवार वालों ने कहा कि दोनों के तलाश के लिए कुछ लोग घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं. मोहम्मद आरिफ का कहना है कि उनका बेटा मेहनत और मजदूरी करके परिवार का सहारा बनना चाहता था, लेकिन अब उसके सकुशल लौटने की उम्मीद ही जीने का एकमात्र सहारा है.

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