Uttrakhand: जमियत उलेमा हिन्द मरकज के एक कमेटी ने नेजामी उमामी मौलाना मुहम्मद हकीमुद्दीन कासमी के कियादत में देहरादून का दौरा किया और उत्तराखंड में मदरसा को बंद करने के मामले में उन मदरसा के संचालकों से मुलाकात कर बातचीत की. समूह ने दौरे में देहरादून के बंद मदरसों का मुआयना किया और वहां के संचालकों से तफसील से बातचीत करके जमीनी सूरत - ए- हाल का जायजा लिया.
समूह ने देहरादून के मदरसा अनवर-ए-हयातुल उलूम और मदरसा अबू बक्र सिद्दी, छोटा भारुवाल का भी दौरा किया, जो मुकम्मल तौर पर सील है और उन मदरसों के दरवाजों पर सरकारी ताला लगा हुआ है. उन मदरसों के संचालको के सामने पेश आने वाली मुश्किलात और कानूनी पहलुओं के बारे में बताया. जमियत उलेमा हिन्द के समूह ने मदरसा के चैयरमैन से मुलाकात की और सूरत-ए-हाल को समझने की कोशिश की.
तालीम को दौबारा शुरू करने पर जोर दिया
जमियत उलेमा हिन्द के समूह ने मदरसा के संचालकों को यकीन दिलाया कि जमियत उलेमा हिन्द कानूनी और संवैधानिक तरीके से उन के अधिकारों की सुरक्षा करेगाी. समूह ने इस बात पर ज्यादा जोर दिया कि मदरसों के तालीम को फौरन शुरू करवाना जरूरी है. जमियत उलेमा हिन्द एक रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसके रोशनी में जमियत उलेमा हिन्द के मौलाना महमूद असद मदनी के हिदायत के मुतालिक तय किया जाएगा.
मामूली बहाने बनाकर ताले लगाना चिंता की बात: सुप्रीम कोर्ट
कमेटी के सरबराह मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि मदरसों को भारतीय संविधान के कानूनों के मुताबिक पूर्ण संरक्षण हासिल है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलो में बाल अधिकार आयोग चैयरमेन के खिलाफ एक आंतरिक रोक भी लगाई है और कहा, "किसी भी धार्मिक मदरसे को बंद नहीं किया जाता है. इस के बावजूद मामूली बहाने बना कर उत्तराखंड में मदरसा पर ताले लगाना फ़िक्र की बात है."
सबसे हैरत की बात तो यह है कि इस मामले में मदरसा संचालकों को किसी तरह के नोटिस भी नहीं दिए गए थे. हम यह समझते हैं कि सरकार कानून को चलाने के लिए होती है, न कि लोगों को परेशान करने के लिए . इसलिए उत्तराखंड की प्रशासन ने आपनी कार्रवाई वापस ले ली.
कुल 15 लोग शामिल
जमियत उलेमा हिन्द की दौरे पर मौजूद कमेटी में कुल पंद्रह लोग थे, जिसमें मरकज के दफ्तर से निज़ाम उमामी के अलावा मौलाना मुफ्ती जाकिर हुसैन कासमी, हाफिज महमूद और देहरादून के अध्यक्ष जमीयत उलेमा मौलाना गुलशीर अहमद, उपाध्यक्ष जमीयत उलेमा, कोषाध्यक्ष प्रधान अब्दुल रज्जाक, मौलाना सुफयान, मौलाना अब्दुल कुद्दूस, कारी अबुल फजल, मौलाना तसलीम, मुफ्ती खुशनूद, मास्टर अब्दुल सत्तार, हाफिज फरमान, कारी साजिद इस वफद में शामिल थे.