कभी पाक माना जाता था, राजस्थान के इस बावरी का पानी, अब फेका जाता है, पूरे मोहल्ले का कूड़ा
Rajasthan News: राजस्थान में राजे रजवारों ने पोखर, कुवें के साथ-साथ बावड़ी का भी निर्माण करवाया था, लेकिन आज बावड़ियों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है. पूरी जानकारी के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
Rajasthan News: राजस्थान को भारत का एक तारीखी शहर और इस शहर को हिंदू-मुस्लिम एकता की पहचान के तौर पर जाना जाता है. यहां खवाजा मोईनुदीन से लेकर कई सूफी मत के मजार है, और उनसे जुड़ी इमारतें और निशानियां हैं. उन्हीं में से एक बावड़ी भी है. राजस्थान के आयशा गंज,रसूलगंज में एक मजार है, जिसकी देख-रेख हिंदू समुदाय के लोग करते हैं. यहां आस पास दो बावड़ी भी है, इनमें से एक को छोटी और दूसरी को बड़ी बावड़ी कहा जाता है. मकामियो के मुताबिक़ बावड़ी के पानी से दाद,खाज,खुजली जैसे चमड़ी के मर्ज दुरुस्त होते है और इसे पाकीज़ा पानी माना जाता है. लेकिन आजकल बावरी का इस्तमाल कूड़ा फेंकने के लिए किया जा रहा है.
इसी तरह हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैहि की दरगाह के आस पास की बावड़ियों में कुछ को छोड़ कर बाकियों का भी इसी तरह बूरा हाल है. अंदर कोट इलाके में आमा बावड़ी,केला बावड़ी का बुरा हाल है. वहीं, कातन बावड़ी और दरगाह में झालरा बावड़ी आज भी हज़ारो लोगो की प्यास भुजा रही है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला इंतजामिया की बेरुख़ी की वजह से अब बावड़िया, लोगों के लिए कचरा दान मात्र बन कर रह गई है. एक हज़ार पुरानी इन तारीख़ी बावड़ियों को आसारे कदीमा के तहफ़्फ़ुज़ और कचरा फेकने पर पाबंदी के साथ इसके पानी को फिल्टर कर आस पास के इलाके में सप्लाई से राहत दी जा सकती है.
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