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चुनाव आयोग ने सार्वजनिक की इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी डिटेल्स, अब सब होगा दूध का दूध का पानी का पानी

Electoral Bond Case Update: SBI ने सुप्रीम कोर्ट के 18 मार्च के हुक्म का पालन करते हुए गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड की सारी डिटेल चुनाव आयोग को सौंप दी. वहीं, चुनाव आयोग ने भी बिना देरी किए इस डिटेल को सार्वजनिक कर दिया. 

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चुनाव आयोग ने सार्वजनिक की इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी डिटेल्स, अब सब होगा दूध का दूध का पानी का पानी
Md Amjad Shoab|Updated: Mar 21, 2024, 08:21 PM IST
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Electoral Bond Case Update: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों के ऐलान होने के बाद देश में चुनावी माहौल गरमा चुका है. सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई हैं. इन सबके बीच इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर भी कई तरह की की चर्चाएं सियासी गलियारों में हो रही थीं, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड का फुल डेटा सबके सामने रख दिया है.

दरअसल, SBI ने सुप्रीम कोर्ट के 18 मार्च के हुक्म का पालन करते हुए गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड की सारी डिटेल चुनाव आयोग को सौंप दी. वहीं, चुनाव आयोग ने भी बिना देरी किए इस डिटेल को सार्वजनिक कर दिया. इस मामले पर पोल वॉचडॉग ने कहा कि उसने अपनी वेबसाइट पर चुनावी बांड पर एसबीआई से प्राप्त डेटा को "जैसा है जहां है" के बुनियाद पर अपलोड कर दिया है.

चुनाव आयोग ने सेशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में एसबीआई ने आज यानी 21 मार्च, 2024 को ईसीआई को चुनावी बांड से संबंधित डेटा दे दिया है." वहीं, पोल पैनल ने अपनी वेबसाइट पर एक लिंक साझा करते हुए कहा, "ECI ने इसे एसबीआई से "जैसा है जहां है" के आधार पर अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है, जहां बैंक से प्राप्त सभी डेटा वाले दो PDF अपलोड किए गए हैं."

बैंक ने डिटेल्स साझा करने से किया इनकार
इस लिस्ट में बांड के खरीदार का नाम, उसका मूल्य और यूनिक नंबर शामिल है. इसके अलावा ये बॉन्ड किस पार्टी के नाम पर है ये भी शामिल है. हालांकि, बैंक ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए बॉन्ड भुनाने वाले सियासी पार्टियों के बैंक खाता नंबर और केवाईसी डिटेल्स देने से इनकार कर दिया है.  बैंक ने कहा कि "राजनीतिक दलों की पहचान" के लिए बैंक खाता संख्या और केवाईसी डिटेल्स जरूरी नहीं हैं.

उन्होंने कहा, "राजनीतिक दलों के बैंक खाते नंबर और केवाईसी विवरण सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं, क्योंकि इससे खाते की सुरक्षा (साइबर सुरक्षा) से समझौता हो सकता है."

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