Story of Prophet Muhammad: मोहम्मद (स.अ) बचपन से ही काफी समझदार और खूबसूरत थे. वालिद का इंतेकाल उसी वक्त हो गया था, जब वह मां आमिना के पेट में थे. उनके पैदा होने के कुछ सालों बाद मां भी उन्हें छोड़ कर चली गई. इसके बाद उनका ख्याल दादा अब्दुल मुत्तलिब ने रखा. लेकिन, बूढ़े होने की वजह से कुछ वक्त बाद वह भी अल्लाह को प्यारे हो गए. उनके फौत होते ही उनके बेटे अबू तालिब ने मुहम्मद (स.अ) का ख्याल रखना शुरू कर दिया और वह आप से बेंइतेहां प्यार करते थे.
जब मोहम्मद (स.अ) 12 साल के हुए तो उनके चाचा को सीरिया किसी तिजारती काम के लिए जाना पड़ा. सफर लंबा और मुश्किल था तो भांजे को न ले जाना बेहतर समझा. लेकिन जब काफिला चलने लगा तो आप अपने चचा से लिपट गए, ऐसा करते देख चाचा अबू तालिब का दिल पसीज गया और उन्होंने फैसला किया कि मुहम्मद (स.अ) को साथ ले लिया जाए.
आखिरकार काफिला रवाना हुआ और अलग-अलग शहरों से होता हुआ गुजरा. कई जगह आराम भी किया गया और आखिरकार सभी सीरिया पहुंच गए. फैसला किया गया कि बुसरा नाम के शहर में पड़ाव डाला जाएगा. यहीं पर उस पादरी से काफिले की मुलाकात हुई.
बुसरा में एक गिरजाघर था जिसके पास छांव हुआ करती थी और इस शहर में एक बहीरा नाम का ईसाई संत हुआ करता था. जब भी कुरैश व्यापारी इस शहर में आते तो इसी गिरजाघर के पास छाव में रुका करते थे. ऐसा ही अबू तालिब ने किया. लोगों ने अपना सामान उतारा और आराम करने लगे.
इसी बीच एक शख्स काफिले के पास आया और कहने लगा बहीरा संत ने आप लोगों को बुलाया है और दावत की है. इस शख्स की बात सुनकर सब हैरान थे. क्योंकि इस पादरी ने इससे पहले न कभी किसी को पूछा था, न ही कभी दावत पर बुलाया था और न ही इससे अबू तालिब की कोई अच्छी जान पहचान थी. आखिरकार ये दावत कबूल कर ली गई.
सब लोग खाने के लिए पहुंचे और बहीरा ने बेहतरीन स्वागत किया. बहीरा बोला आप लोग मेरे साथ खाना खाएं और ध्यान रहे कि कोई रह न जाए. जिस पर लोगों ने कहा कि हम सब आ गए हैं, केवल एक लड़के को छोड़कर आए हैं. जिस पर बहीरा ने कहा कि लड़का है तो क्या हुआ, वह भी यही खाना खाएगा.
बहीरा को इतना फ्रैंक और ऐसी बातें करते हुए सुनकर काफिले की फिक्र बढ़ गई. आखिरकार मुहम्मद (स.अ) को बुलाया गया. जैसे ही आप ने महफिल में कदम रखा तो बहीरा की नजरे आप पर टिक गईं और टकटकी लगाए आपको ही देखता रहा.
सब लोगों ने खाना खाया और इधर-उधर फैल गए, कोई गिरजाघर देखने लगा तो कोई बातों में मश्गूल हो गया. इतने में पादरी मुहम्मद (स.अ) के पास पहुंचा और पूछा कि तुम्हें लात और उज्जा (उस वक्त की गॉडेस) की कसम जो पूछूं सच-सच बताना. जिस पर आपने कहा कि मुझे लात और उज्जा की कसम न दें. संत ने कहा कि तुम्हें खुदा की कसम, जो पूछूं बता देना. जिस पर आपने कहा कि पूछिए क्या पूछना चाहते हैं आप.
वह आपसे उनके खुदके बारे में सवाल करने लगा, और आर उसका जवाब देते रहे. इतने में ही अबू तालिब वहां आ गए और पादरी ने उनसे पूछा कि ये लड़का आपका कौन होता है. "ये मेरा बेटा है," अबू तालिब ने यूं ही चलता हुआ जवाब दिया.
पादरी ने कहा कि तुम्हारा लड़का नहीं. इस लड़के का बाप जिंदा हो ये हो नहीं सकता. जब बहीरा के मुंह से अबू तालिब ने ये बात सुनी तो वह हैरान रह गए.
अबू तालिब ने कहा,"हां, ये मेरा भतीजा है."
बहीरा बोला,"इसका बाप"?
अबू तालिब ने कहा जब ये पेट में था तभी इसके वालिद का इंतेकाल हो गया था.
जिसपर बहीरा ने कहा कि अब तुमने सच कहा है, अब तुम इसे घर ले जाओ और देखो इसे यहूदियों से बचाए रखना. अगर उन्होंने इसे देख लिया और इस हद तक पहचान लिया जिस तक मैंने पहचाना है तो इसकी जान के पीछे पड़ जाएंगे. तुम्हारा ये भतीजा इतना महान शख्स होगा कि तुम सोच भी नहीं सकते. ये समझ लो कि ये हीरा है और ऐसा हीरा जो आजतक पैदा नहीं हुआ.
बहीरा ने ये बातें सारी बातें एक सांस में कह दी, मानों बाइबल का कोई वर्स पढ़ रहा हो या फिर माथे से तकदीर पढ़ रहा हो. ऐसा ही हुआ, अल्लाह ने मुहम्मद (स.अ) पर कलाम उतारा, जो आज तक वैसा ही है जैसे उस वक्त उतरा था. आज आप के बताए रास्ते पर पूरी उम्मते मुस्लिमा चल रही है.