Kanwar Yatra 2024: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के उस निर्देश पर यथास्थिति के अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया, जिसमें कहा गया है कि कांवड़ यात्रा के रास्ते पर मौजूद भोजनालयों को अपने ऑनर्स और वहां पर काम करने वाले कर्मचारियों के नाम और अन्य अहम जानकारियां प्रदर्शित करने होंगे.
वक्त की कमी की वजह से नहीं हुई सुनवाई
जस्टिस हृषिकेश रॉय और आर महादेवन की पीठ टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, शिक्षाविद् अपूर्वानंद झा और स्तंभकार आकार पटेल और एनजीओ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के द्वारा दी गई उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देशों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. लेकिन वक्त की कमी की वजह से इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. लेकिन बेंच ने अंतरिम आदेश बढ़ा दिया.
एक पक्ष की तरफ से पेश वकील ने कहा कि इस वक्त कांवर यात्रा चल रही है और श्रावण 19 अगस्त को खत्म होगा. उन्होंने अदालत से जल्दी सुनवाई का अनुरोध किया. लेकिन पीठ ने कहा कि एक तारीख तय की जाएगी, बिना यह बताए कि मामले की कब सुनवाई होगी.
सररकार ने बचाव में क्या कहा?
बता दें, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के अलावा मध्य प्रदेश में भाजपा नियंत्रित उज्जैन के नागरिक निकाय ने भी दुकान मालिकों को इसी तरह का निर्देश जारी किया था. वहीं, अपने जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने निर्देश का बचाव करते हुए कहा कि कांवर यात्रा रोड पर भोजनालयों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने की जरूरत है, क्योंकि यह "संभावित भ्रम" से बचने और शांतिपूर्ण यात्रा सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता लाएगी.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए आदेश पर लगाया था रोक
इससे पहले 22 जुलाई को शीर्ष अदालत ने निर्देशों पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था. उन्होंने तब कहा था, "... हम विवादित निर्देशों के प्रवर्तन पर रोक लगाने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझते हैं. दूसरे शब्दों में, खाद्य विक्रेता (ढाबा मालिकों समेत) , रेस्तरां, खाद्य पदार्थ और सब्जी विक्रेता, फेरीवाले, आदि) को उस प्रकार का भोजन प्रदर्शित करने की जरूरत हो सकती है जो वे कांवरियों को परोस रहे हैं.
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