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Imran Pratapgarhi: हिंसक नहीं अहिंसक है इमरान प्रतापगढ़ी की 'कविता'; SC ने पुलिस को याद दिलाया 'फ़र्ज़'

Imran Pratapgarhi: कांग्रेस नेता और मशहूर शायर इमरान प्रताप गढ़ी पर चल रहे भड़काऊ कविता मामले में सुप्रीम कोर्ट से सोमवार 3 मार्च को बड़ी राहत मिली है. साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पुलस को फटकार लगाई है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.

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Imran Pratapgarhi: हिंसक नहीं अहिंसक है इमरान प्रतापगढ़ी की 'कविता'; SC ने पुलिस को याद दिलाया 'फ़र्ज़'
Zee Salaam Web Desk|Updated: Mar 03, 2025, 07:49 PM IST
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Imran Pratapgarhi: कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मामला चल रहा है. यह मामला सोशल मीडिया पर एक वीडियों अपलोड करने से जुड़ा है. ईमरान प्रतापगढ़ी पर इल्जाम है कि उनकी सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो भड़काऊ और मुल्क की एक्ता के लिए खतरा पैदा करने वाली है.  सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की 3 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि संविधान लागू हुए 75 साल हो गए हैं, कम से कम पुलिस को फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को समझना चाहिए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कविता हिंसा को नहीं अहिंसा को बढ़ावा देने वाली है.
 
दरअसल, भड़काऊ कविता मामले में इमरात प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस ने कार्रवाई शुरू की थी. इमरान ने पुलस की कार्रवाई पर रोक लगाने की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उसी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनाव हुई है.  बता दें, इस मामले की सुनवाई जस्टिस अभ्य एस ओके और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच कर रही है. पीठ ने सुनवाई के दौरान संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को हाइलाइट किया है. साथ ही कोर्ट ने पुलिस को फटकार भी लगाई है. जस्टिस ओका ने सुनवाई के दौरान कहा जब अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात आती है, तो इसे सुरक्षित करना होगा. उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस को कुछ संवेदनशीलता दिखानी होगी. उन्हें (संविधान के अनुच्छेद को) पढ़ना और समझना चाहिए. 

जस्टिस ओके ने कहा कि यह कविता वास्तव में अहिंसा को बढ़ावा देने वाली है. उन्होंने कहा कि इसके ट्रांसलेशन में कुछ खामियां दिख रही है. उन्होंने आगे कहा कि यह कविता किसी मज़हब के खिलाफ नहीं है. बल्कि यह कविता अप्रत्यक्ष रूप से कहती है कि भले ही कोई हिंसा में शामिल हो लेकिन हम हिंसा में शामिल नहीं होंगे. 

गौरतलब है कि गुजरात के जामनगर में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह के दौरान कथित भड़काऊ गीत के लिए प्रतापगढ़ी के खिलाफ तीन जनवरी को मामला दर्ज किया गया. गुजरात पुलिस की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह कविता सड़क छाप किस्म की है, और इसे फैज अहमद फैज जैसे फेमस शायर और लेखक से नहीं जोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इमरान के वीडियो ने परेशानी पैदा की है. इमरान प्रताप गढ़ी की तरफ से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वीडियो प्रतापगढ़ी ने नहीं बल्कि उनकी टीम ने अपलोड किया था. सिब्बल के दलील पर मेहता ने कहा कि सांसद को उनकी टीम के तरफ से उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो अपलोड किए जाने पर भी जवाबदेह ठहराया जा सकता है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया.

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