India Taliban Relations: अमेरिका में world ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद अफगानिस्तान के तत्कालीन तालिबान सरकार को आतंकवादी बताकर दनिया भर में प्रचार किया गया..और उसके सत्ता को उखाडकर अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार बना दी गई. लेकिन 20 साल बाद अमेरिका तालिबान से हारकर अफगानिस्तान छोड़कर भाग गया और तालिबान ने फिर से सत्ता में वापसी कर ली. अब उसी तालिबान को दुनिया मान्यता देने की तरफ आगे बढ़ रही है. अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को अभी तक सिर्फ रूस ने ही औपचारिक रूप से मान्यता दी है. यूरोप के देश, मुस्लिम देश, चीन और भारत ने तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है लेकिन इसके बावजूद, ज्यादातर मुस्लिम देश, चीन और भारत अफगानिस्तान की मदद करने और वहां विकास के कामों में तालिबान का सहयोग कर रहे हैं. इस बीच बड़ी खबर सामने आई है. तालिबान शासन ने अब हैदराबाद स्थित वाणिज्य दूतावास में भी अपना प्रतिनिधि तैनात कर दिया है, जिससे पता चलता है कि तालिबान भारत में धीरे-धीरे अपना राजनयिक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
जराए के मुताबिक, एम. रहमान नामक एक तालिबान प्रतिनिधि ने जून 2025 से हैदराबाद स्थित अफ़ग़ान दूतावास का कार्यभार संभाल लिया है. इससे पहले, पिछले साल, तालिबान प्रतिनिधि इकरामुद्दीन कामिल ने मुंबई स्थित वाणिज्य दूतावास का कार्यभार भी संभाला था. दिल्ली स्थित अफ़ग़ान दूतावास का नेतृत्व अभी भी सईद मोहम्मद इब्राहिम खिल कर रहे हैं, जो पूर्व राष्ट्रपति अशरफ़ गनी की सरकार द्वारा नियुक्त एक अधिकारी हैं. हालांकि, अब यह स्पष्ट हो रहा है कि तालिबान धीरे-धीरे भारत स्थित सभी अफ़ग़ान मिशनों पर नियंत्रण पाने की योजना पर काम कर रहा है.
क्या तालिबान का रवैया अब सहयोगात्मक हो रहा है?
तालिबान के ये कदम इस बात का संकेत हैं कि काबुल भारत के साथ संबंधों को मज़बूत करना चाहता है. हाल के दिनों में भारत और तालिबान के बीच बातचीत भी हुई है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से सीधी बातचीत की और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करने के लिए तालिबान की तारीफ भी की थी.
भारत के विदेश सचिव और तालिबान अधिकारियों के बीच हुई थी बैठक
गौरतलब है कि जनवरी में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी यूएई में मुत्तकी से मुलाकात की थी, जहां ईरान के चाबहार बंदरगाह के ज़रिए व्यापार बढ़ाने पर बातचीत हुई थी. इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत और तालिबान के बीच बातचीत का रास्ता खुला है, हालांकि भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है.