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निकाह के बाद छुहारे के लिए मेहमानों में 'महाभारत'; चॉकलेट के ज़माने में छुहारे को क्यों ढो रहे मुसलमान?

Hapur News: यूपी के हापुड़ जिले में निकाह के दौरान दूल्हे के निकाह कबूल करने के बाद बांटे जाने वाले छुहारे की पोटली लूटने के लिए गांववाले और बाराती आपस में भिड़ गए.

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बारात फाइल फोटो
बारात फाइल फोटो
Zee Salaam Web Desk|Updated: Apr 14, 2025, 04:16 PM IST
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Hapur News: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. जहां धमुक्तेश्वर थाना क्षेत्र के गांव पोपई में एक निकाह के दौरान दूल्हे के निकाह कबूल करने के बाद बांटे जाने वाले छुहारे की पोटली लूटने के लिए गांववाले और बाराती आपस में भिड़ गए. विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई, एक दूसरे पर कुर्सियां ​​फेंकी गईं और इस घटना में करीब आधा दर्जन लोग घायल हो गए. बाद में घायल बारातियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि निकाह के बाद छुहारे की पोटली क्यों बांटा जाती है. आइए जानते हैं.

दरअसल, मुस्लिम समुदाय की शादियों में निकाह के बाद खजूर बांटने की एक खास परंपरा है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह परंपरा कैसे अस्तित्व में आई, या इसका कोई इतिहास है तो मैं आप सभी दर्शकों को यह क्लियर कर दूं कि इसका कोई लिखित इतिहास नहीं है. यह एक परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है. कुछ लोगों का मानना ​​है कि पुराने समय में शादी की खुशियों को मनाने के लिए खजूर की पोटली बांटी जाती थी. वहीं, खजूर दूल्हे की तरफ से लाए जाते हैं. 

मौलाना ने दिया ये तर्क
मौलाना समीउल्लाह खान का कहना है कि निकाह के बाद छुहारे बांटने का कोई इस्लामी संदेश नहीं है. चूंकि यह खुशी का मौका होता है. खुशी के मौके पर मिठाई बांटी जाती है, इसलिए खजूर बांटे जाते हैं. पहले मिठाई नहीं होती थी, इसलिए निकाह के बाद खजूर या सूखे खजूर बांटे जाते थे.

निकाह में खजूर बांटने का रिवाज
बिहार, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में निकाह के बाद छुहारे या छुहारे की पोटली बांटने का खास रिवाज है. निकाह के फौरन लड़के पक्ष के लोग छुहारे या छुहारे की पोटली बांटते हैं. इस छुहारे की पोटली को लेने के लिए सभी लोगों में होड़ लगी रहती है. कभी कभी एक दूसरे पर लोग टूट पड़ते हैं. यानी कभी कभी भगदड़ जैसी स्थिति बन जाती है.

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