Uttar Pradesh Bulldozer Action: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से मस्जिदों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई तेज हो गई है. सहारनपुर के भोजपुर में 29 मई को मस्जिद ढहाने की कार्रवाई ने एक बार फिर यूपी की बुलडोजर पॉलिटिक्स को चर्चा में ला दिया है. एक ओर प्रशासन इसे अवैध निर्माण के खिलाफ जरूरी कदम बता रहा है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद इसे संविधान और धार्मिक अधिकारों पर हमला बता रहे हैं. अब मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंचने की तैयारी में है, और राजनीति गरमा गई है.
दरअसल, 29 मई को चिलकाना थाना क्षेत्र के भोजपुर गांव में गैरकानूनी तरीके से बनाए जा रही मस्जिद को प्रशासन ने जमींदोज कर दिया. प्रशासन ने तेज के साथ कार्रवाई करते हुए, सिर्फ डेढ़ घंटे में 3 JCB मशीनों ने पूरी इमारत को धवस्त कर दिया. कानून व्यवस्था बना रहे, और माहौल तनावपूर्ण न बने, इसके लिए प्रशासन के तरफ से पूरी तौयारी पहले ही कर ली गई थी. गांव में PAC, RRF और कई थानों की फोर्स से तैनात कर दिया गया गया था. साथ ही ड्रोन से पूरे गांव की निगरानी की जा रही थी.
मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे- इमरान मसूद
अब इस कार्रवाई के खिलाफ राजनीति तेज हो गई है. कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस कार्रवाई को लेकर वहां के डीएम और एसएसपी से मुलाकात की और इसे सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन बताते हुए कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मामला करार दिया. उन्होंने कहा कि वह इस कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, और रिट फाइल करेंगे. जब उनसे पूछा गया कि ध्वस्तीकरण के समय कोई विरोध क्यों नहीं हुआ, तो उन्होंने कहा कि वह यहीं तो चाहते थे कि लोग सामने आएं, फिर गोली चले, खून बहे और एक बड़ा हंगामा हो. लेकिन हम कानून के दायरे में रहकर इस लड़ाई को लड़ेंगे.
संविधान पर हो रहा है हमलाज- इमरान मसूद
सांसद इमरान मसूद का कहना है कि मस्जिद जिस जमीन पर तामीर की जा रही थी, वह एक तीन भाईयों की निजी जमीन है. इमरान मसूद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में एक गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें डिमोलिशन से पहले उचित नोटिस, सुनवाई और उसका पोर्टल पर प्रकाशन जरूरी था. उन्होंने मस्जिद के खिलाफ इस कार्रवाई को संविधान पर हमला बताया है. सांसद इमरान मसूद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अवहेलना संविधान पर हमला है. उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन्स की धज्जियां उड़ाई है.