Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाले वार्षिक मेले को प्रशासन ने मई के महीने में नहीं लगने दिया था. इस घटना के बाद दरगाह के जिम्मेदारों ने कोर्ट का रुख किया. अब इस मामले में हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने अहम फैसला सुनाई है. इस फैसले से राज्य के योगी सरकार को बड़ा झटका लगा है.
इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के लखनऊ पीठ के जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच कर रही थी. याचिका कर्ताओं को इस मामले में बड़ी कामयाबी मिली है. कोर्ट के फैसले के मुताबिक अगले साल से गाजी मसूद की याद में वार्षीक मेले का आयोजन किया जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने दरगाह के प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि भविष्य में मसूद गाजी के याद में लगने वाले मेले में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किए जाएं और एंट्री पॉइंट पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं.
दरअसल, प्रशासन के जरिए मेला लगाने की इजाजत न दिए जाने के बाद दरगाह प्रबंधक कमेटी ने प्रशासन के आदेश के खिलाफ कोर्ट पुहंच गई थी. कमेटी ने कोर्ट से मेला का आयोजन कारने की इजाजत मांगी थी. वहीं, कोर्ट में सरकार के तरफ से पेश वकील ने तर्क दिया था कि यह इलाका संवेदनशील है और यह मेला नेपाल से सटे बॉर्डर के पास लगता है. इसीलिए पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रशासन ने खुफिया रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा को देखते हुए मेला लगाने पर रोक लगा दी है.
इस मामले को सुन रहे जजों ने पूरे मामले को सुनने के बाद 17 मई को एक आदेश दिया था, जिसके तहत मुस्लिम समुदाय को पारंपरिक रीति रिवाज से मजार पर जाने की इजाजत थी. हालांकि कोर्ट ने सरकार के तरफ से सुरक्षा की चिंताओं को देखते हुए मेला लगाने के आयोजन की इजाजत नहीं दी थी.
इसी मामले में हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक नई फैसला सुनाते हुए मेले के आयोजन की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि पिछले 17 मई को दिए गए आंतरिम आदेश के तहत किए गए प्रबंधों के दौरान शांति और सौहार्द बना रहा. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि मेले के आयोजन को लेकर सरकार की आशंकाएँ गलत साबित हुई है.