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बैकफुट पर सरकार, हल्द्वानी हिंसा मामले में 22 आरोपियों को मिला डिफॉल्ट बेल

Haldwani violence: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आज यानी 11 मार्च को मुसलमानों के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया  है. हल्द्वानी हिंसा मामले में UAPA के तहत बंद 22 आरोपियों को हाईकोर्ट ने डिफॉल्ट जमानत दे दी है. पूरी खबर जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें  

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 बैकफुट पर सरकार, हल्द्वानी हिंसा मामले में 22 आरोपियों को मिला डिफॉल्ट बेल
Zee Salaam Web Desk|Updated: Mar 11, 2025, 07:23 PM IST
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Haldwani violence: हल्द्वानी हिंसा मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट नें 22 मुल्जिमों को आज यानी 11 फरवरी को डिफॉल्ट जमानत दे दी है. इस फैसले से जमीयत उलेमा-ए- हिंद के अध्यक्ष बहुत खुश नजह आ रहे हैं. साथ ही मुल्जिमों के परिवार वालों में खुशी की लहर दौर गई है. ये लोग पिछले एक साल से हल्द्वानी हिंसा मामले में जेल में बंद थे.  प्रशासन के तरफ से कोर्ट में अभी तक मुल्जिमों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई थी. इस लिए जमीयत के तरफ से की गई मुस्लिमों की रिहाई वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने डिफॉल्ट जमानत दे दी है. पिछली बार इस मामले सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था. लेकिन आज बड़ा फैसला सुनाते हुए 22 मुल्जिमों को डिफॉल्ट जमानत दे दी है. 

दरअसल, उत्तराखंड हाई कोर्ट में जमीयत उलेमा-ए- हिंद की स्टेट ब्रांच उत्तराखंड जमीयत उलेमा ने मुल्जिमों की जमानत के लिए एक याचिका दायर की थी. इस याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज पुरोहित और जस्टिस मनोज कुमार तिवारी कर रहे थे. प्रशासन के तरफ से मुल्जिमों के खिलाफ हाईकोर्ट में अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं किया गया था.  कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि यूएपीए कानून के तहत जांच एजेंसी को तय वक्त में जांच पूरी करनी होती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है, इसलिए डिफॉल्ट जमानत को मंजूर की जाती है. बात दें इस मामले पर जमीयत की तरफ से हाईकोर्ट में सीनियर वकील नित्या रामा कृष्णा मौजूद थे.

कोर्ट के फैसले के बाद जमीयत उलेमा-ए- हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इस फैसले के बाद कोर्ट पर लोगों का विश्वास बढेगा. उन्होंने कहा कि हाल्द्वानी हिंसा में पुलिस की अंधाधुन फायरिंग में 5 मुस्लिम नौजवानों की मौत हो गई थी. लेकिन उस पर कोई बात नहीं करता है. साथ ही उन्होंने इस मामले में मानव अधिकार संगठनों पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि हिंसा में 5 मुस्लम नौजवानों की मौत हो गई, लेकिन मानव अधिकार संगठन इस मामले बिलकुल चुपर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि जांच एजेंसी जान बुझकर वक्त पर चार्जशीट दाखिल नहीं करता है, ताकि मुल्जिमों को जल्द रिहाई न मिल सके, और ज्यादा वक्त तक जेल में रखा जा सके.

गौरतलब है कि इससे पहले उत्तराखंड की लॉअर कोर्ट ने 3 जुलाई 2024 को मुल्जिमों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. साथ ही जांच एजेंसियों को मुल्जिमों के खिलाफ जांच पूरी करने का आदेश दिया था. आज उत्तराखंड हाई कोर्ट ने लॉअर कोर्ट के फैसले को अवैध बताते हुए खारिज कर दिया है. साथ ही रिहाई याचिका में शामिल 22 मुल्जिमों को डिफॉल्ट रिहाई दे दी है. इससे पहले भी उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 20 अगस्त 2024 को 6 महिला समेत 50 मुल्जिम जो यूएपीए में बंद थे, उन्हें जमानत दी थी.

 

 

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