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उत्तराखंड: मियांवाला का नाम बदलने पर धामी सरकार के खिलाफ क्यों हो गए राजपूत? जानें पूरा मामला

Uttrakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने 31 मार्च को 15 जगहों के नाम बदलने का ऐलान किया था, जिसमें देहरादून का मियांवाला गांव भी शामिल था. स्थानीय लोगों ने सरकार के इस फैसले का विरोध कर जिलाधिकारी यानी कि डीएम को पत्र लिखा है और मियांवाला का नाम न बदलने की मांग की है. 

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उत्तराखंड: मियांवाला का नाम बदलने पर धामी सरकार के खिलाफ क्यों हो गए राजपूत? जानें पूरा मामला
Zee Salaam Web Desk|Updated: Apr 03, 2025, 03:03 PM IST
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Uttrakhand News: उत्तराखंड में धामी सरकार ने ऐसा फैसला लिया, जिससे इलाके में विरोध को पैदा कर दिया है. दरअसल पुष्कर धामी की सरकार ने उत्तराखंड की कई सड़कों, जिलों और शहरों के नाम बदलने का ऐलान किया है. सरकार ने 15 इस्लामिक जगहों के नाम बदलकर हिन्दू देवताओं के नाम पर रखे हैं. 

सरकार ने देहरादून के "मियांवाला" का नाम बदलकर "रामजीवाला" कर दिया, जिसको लेकर वहां के स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. लोगों का कहना है कि "मियांवाला" शब्द "मियां" से निकला है, जो कि एक राजपूत टाइटल है और इसका मुस्लिम कम्यूनिटी से कोई ताल्लुक नहीं है. 

मियांवाला का अस्तित्व, रांगड़ राजपूतों से
सरकार के इस फैसले का विपक्ष ने भी विरोध किया है. विपक्ष का कहना है कि सरकार लोगों का ध्यान बटाने के लिए ऐसे फैसले कर रही है. स्थानीय लोगों ने मियांवाल का नाम बदलने के खिलाफ जिलाधिकरी को पत्र लिखा है. पत्र में लोगों ने कहा, "आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे की देहरादून जिले से पहले मियांवाला का अस्तित्व है, जो कि रांगड़ राजपूतों का है. राजा फतेहशाह के पोते प्रदीपशाह ने सत्ताशीन होने पर गुरू रामराय को 4 गांव गिफ्ट किए, जिसमें से एक मियांवाला भी था. "

मियांवाला का इतिहास 
प्रदीप शाह का शासनकाल साल 1717 से 1772 के बीच का रहा है. साल 1815 में अंग्रेज दून में काबिज हुए. लेखक जीआरसी विलियम्स की किताब मेमोयोर ऑफ देहरादून ,एचजी वॉल्टन की किताब देहरादून गजेटियर और दून के बारे में जानकारी देने वाले अग्रेंज लेखकों की भी किताब में मियांवाला का जिक्र मिलता है. 

नाम न बदलने की मांग
स्थनीय लोगों ने पत्र में डीएम से मियांवाला का नाम न बदलने की मांग की है. पत्र में लिखा, "मियांवाला ऐतिहासिक नाम और विरासत है, जिससे हमारे पूर्वजों का सम्मान होता है. हमारी पहचान ही मियांवाला से है और हमेशा रहेगी. लेकिन कुछ राजनीति करने वालों ने हमारे मियांवाला का नाम बदलने और हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है. हमारे क्षेत्र का नाम न बदला जाए, इसे मियांवाला ही रहने दिया जाए." 

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