trendingNow/zeesalaam/zeesalaam02085984
Home >>Zee Salaam ख़बरें

नर्मी के बर्ताव से जुड़ते हैं दिल, सख्ती पर क्या कहता है इस्लाम

Islamic Knowledge: इस्लाम में नर्म बर्ताव रखने के बारे में बताया गया है. नर्म बर्ताव लोगों के दिलों को जोड़ता है, जबकि सख्त दिल लोगों के दिलों को तोड़ता है. पेश है नर्म बर्ताव पर कुछ अहम बातें और हदीस.

Advertisement
नर्मी के बर्ताव से जुड़ते हैं दिल, सख्ती पर क्या कहता है इस्लाम
Siraj Mahi|Updated: Jan 30, 2024, 02:41 PM IST
Share

Islamic Knowledge: इस्लाम आपस में दोस्ती और नर्मी के बारे में बताता है. इस्लाम कहता है कि अपने मां-बाप, बीवी, औलाद और नौकरों के साथ नर्मी के साथ पेश आओ. अगर आप लोगों के साथ नर्मी से पेश आएंगे तो आपके आस-पास लोग जमा होंगे. एक हदीस में जिक्र है कि प्रोफेट मोहम्मद स0 लोगों के साथ बहुत नर्मी के साथ पेश आते थे. उन्होंने इस्लाम के दुश्मनों के अलावा कभी किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाई.

हर शय के साथ नर्मी
इस्लाम में बताया गया है कि जो इंसान नर्म बर्ताव और नर्म दिल होता है वह अच्छी जबान बोलता है. नर्म बर्ताव वाला इंसान सिर्फ इंसानों का दोस्त नहीं होता बल्कि दुनिया की हर जानदार चीज के लिए रहम दिल होता है. नर्म दिल इंसान रिश्तों को और चीजों को जोड़ने की कोशिश करते हैं. इसके बरअक्स इस्लाम में बताया गया है कि जो जिन लोगों का रवैया सख्त होता है, जो पत्थर दिल होते हैं वह किसी भी चीज को बनाते नहीं बल्कि, वह चीज को तोड़ते हैं, बिगाड़ते हैं.  

सख्ती और घमंड
इस्लाम कहता है कि सख्त दिल इंसान नर्मी को जिल्लत और रहम को कमजोरी समझता है. वह सख्ती को मर्दांगनी, कसावत को कुव्वत और गुस्सा-गर्मी को उसूल समझता है, हालांकि किसी भी इंसान को डराना, धमकाना और परेशान करना इस्लाम की नजर में सही नहीं है.

यह भी पढ़ें: मरने के बाद भी रह जाते हैं मां-बाप के हक, इस्लाम ने बताया अदा करने का तरीका

जालिम है संग दिल
इस्लाम में बताया गया है कि अगर आपका दिल सख्त है और अगर आपके बात करने के तरीके से लोगों के दिलों को चोट पहुंचती है, तो आप जालिमों में शुमार किए जाते हैं. इस्लाम में कहा गया है लोगों को माफ कर दिया करो. इससे आपसी ताल्लुकात बहुत अच्छे रहते हैं. 

गुस्सा नहीं करते थे आप स0
इस्लाम में एक जगह जिक्र है कि प्रोफेट मोहम्मद स0 शांत, अच्छे व्यवहार वाले और नर्म दिल वाले इंसान थे, वह न तो कठोर दिल के थे और न ही गुस्सा करते थे. वह शोर और अश्लीलता से दूर थे. वह लोगों की गलती ढूंढने और कंजूसी से दूर रहते थे.

कुरान में नर्म बर्ताव का जिक्र
एक जगह कुरान में अल्लाह ताला ने कहा है कि "ऐ पैगंबर! आप अल्लाह की मेहरबानी से उन लोगों के लिए नर्म हो, वर्ना अगर आप बदमिजाज और सख्त दिल होते तो यह तुम्हारे पास से भाग खड़े होते, लिहाजा उन्हें माफ कर दीजिए और उन के लिए इस्तगफार कीजिए." (कुरान: सूरा-आल इमरान, 150)

हदीस में नर्म बर्ताव का जिक्र
"हजरत आइशा रजि रहती हैं कि अल्लाह के रसूल ने कभी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा, न किसी बीवी को, न किसी नौकर को, न किसी और को. हां, जिहाद करते हुए दीन के दुशमनों को जरूर मारा है. आप स0 को व्यक्तिगत रूप में कोई तकलीप पहुंचाई गई हो और आप ने उसका बदला लिया हो, ऐसा कभी नहीं हुआ. हां, जब कोई शख्स अल्लाह के हुक्म की खुल्लम-खुल्ला नाफरमानी करता, तो उससे आप स0 अल्लाह के वास्ते जरूर बदला लेते."

Read More
{}{}