Manmohan Singh Death: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को इंतेकाल हो गया. उन्होंने 92 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में आखिरी सांसे लीं. यह सज्जन शख्स अपने पीछे शाइस्तगी, ईमानदारी और साफ तौर पर मईशी (आर्थिक) सुधारों की विरासत छोड़ गया है. इस बात को कोई नहीं नकार सकता कि उनके आलोचक भी उनका सम्मान करते हैं. हालांकि, उनके टेन्योर में ऐसे मौके भी आए जब उन्हें ऐसे फैसले लेने पड़े जो कोई नहीं लेना चाहता था.
ब्रिटेन के साबिक पीएम डेविड कैमरन ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि भारत पर एक दहशतगर्दाना हमले के बाद मनमोहन सिंह ने एक बार पाकिस्तान पर हमला करने का मन बना लिया था. 2010 से 2016 तक ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहे कैमरन ने बताया कि जब वे भारत आए थे, तो सिंह ने कहा था कि अगर भारत पर 2008 में मुंबई में हुए हमले जैसा कोई और हमला होता है, तो वह पाकिस्तान के खिलाफ मिलिट्री ऑपरेशन को अंजाम देंगे.
हालांकि सिंह को शासन के प्रति उनके शांत और बैलेंस नजरिए के तौर पर याद किया जाता है. कैमरन ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत की सुरक्षा के सवाल पर अडिग थे. कैमरन ने सिंह को एक “संत पुरुष” बताया, लेकिन पड़ोसी पाकिस्तान से खतरे के प्रति उनकी कठोरता को भी कबूल किया.
26 सितंबर, 1932 को भारत पाकिस्तान के बंटवारे से पहले पंजाब प्रांत के एक गांव गाह में जन्मे थे. 1947 में विभाजन के कारण उनके परिवार को भारत आना पड़ा, लेकिन उनका पैतृक गांव और दोस्त उनके दिल में बसे रहे. जब 2004 में सिंह प्रधानमंत्री बने, तो यह खबर सीमा पार पाकिस्तान में उनके पैतृक गांव तक पहुंच गई. उनके दोस्त और क्लासमेट राजा मोहम्मद अली ने सिंह से फिर से संपर्क करने के लिए दिल्ली आने की इच्छा जताई.
मई 2008 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह ने अली की मेज़बानी की, जो अपने लंबे समय से खोए दोस्त से मिलने के लिए पाकिस्तान से आए थे. सत्तर के दशक में पहुंच चुके दोनों लोगों के पुनर्मिलन में मुस्कुराहट, नम आँखें और साझा यादें शामिल थीं.