Islamic Knowledge: रिज़्क़ देना अल्लाह के हाथ में है, काफी लोग खूब मेहनत करते हैं, लेकिन फिर भी कुछ हाथ नहीं लगता है, और कुछ लोग कम मेहनत में भी काफी कुछ हासिल कर लेते हैं. लेकिन, अल्लाह तआला का वादा है कि वह कभी किसी की मेहनत को रायगा (बेकार) नहीं जाने देता. एक दिन उसे कामयाबी हासिल जरूरी होती है. लेकिन, उलेमा हमेशा कहते हैं कि इस मुश्किल के दौर में खुदा का दामन हमेशा पकड़े रहना बहुत जरूरी है, ताकि रिज्क में इजाफा हो सके और आसानी हो. आज हम आपको ऐसे चार काम बताने वाले हैं, जिन्हें करने से आपके रिज़्क़ में इज़ाफा होने के इमकानात काफी बढ़ जाते हैं.
वक्त पर नमाज अदा करना बेहद जरूरी है, इसे बेवजह टालते रहना या जानबूझकर कजा करना सरासर अपने ऊपर ज्यादती है. सूरह ताहा में अल्लाह फरमाते हैं,"अपने घरवालों को नमाज़ का हुक्म दो और खुद भी उस पर डटे रहो. हम तुमसे रोज़ी नहीं मांगते, बल्कि हम तुम्हें रोज़ी देते हैं, और अच्छा अंजाम तो तक़वा (परहेज़गारी) वालों का ही है."
वहीं, अल्लाह सूरह जुमुअ में फरमाते हैं,"जब नमाज़ पूरी हो जाए तो ज़मीन में फैल जाओ और अल्लाह का फज़्ल (रिज्क) तलाश करो और अल्लाह को खूब याद करते रहो, ताकि तुम कामयाब हो जाओ."
सूरह अल नूर में अल्लाह फरमाता है,"नमाज़ क़ायम करो, ज़कात दो और रसूल की इताअत करो ताकि तुम पर रहमत की जाए."
सदका अल्लाह को काफी पसंद आता है जब आप किसी शख्स की पैसों, खाने या दूसरी तरह से मदद करते हैं. अल्लाह सूरह सबा में फरमाता है,"कहो कि मेरा रब अपने बंदों में से जिसे चाहे रोज़ी वसीअ (बढ़ी हुई) करता है और जिसे चाहे तंग कर देता है, और जो कुछ तुम खर्च करते हो, वह उसका बदला देता है, और वह सबसे बेहतरीन रोज़ी देने वाला है.
लगातार अल्लाह का शुक्र अदा करने से रिज्क में इजाफा होता है. हम हमेशा ज्यादा की रेस में भूल जाते हैं कि अल्लाह ने हमें कितना दिया है. शुक्रगुजारी करना इस दुनिया में सबसे पावरफुल चीज है. सूरह इब्राहिम में अल्लाह फरमाता है,"अगर तुम शुक्र करोगे तो मैं तुम्हें और ज़्यादा दूंगा, और अगर तुम नाशुक्री करोगे तो यक़ीनन मेरा अज़ाब बहुत सख़्त है."
सही हदीस मुस्लिम की हदीस है कि उन लोगों की तरफ देखो जो तुमसे नीचे हैं, उन लोगों की तरफ मत देखो जो तुमसे ऊपर हैं, ताकि तुम अल्लाह की नेमत को कम न समझो.
अकसर काफी लोग सबके सामने तो गुनाह से परहेज करते हैं और जब अकेले में होते हैं तो गुनाह करते हैं. ऐसा करने से बचना चाहिए. अल्लाह सूरह अत-तलाक़ में फरमाता है,"जो अल्लाह से डरता है, अल्लाह उसके लिए रास्ता निकाल देता है, और उसे वहां से रिज़्क देता है जहाँ से उसका गुमान भी नहीं होता."
जो शख्स अकेले में भी गुनाह से बचता है, वो अल्लाह की निगरानी को महसूस करता है, और यही तक़्वा है. तक़्वा का इनाम है: रिज़्क, राहत, रास्ता और रहमत.